लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव कई रिकार्ड तथा मिथक तोड़ने की ओर अग्रसर है। इसके परिणाम भले ही दस मार्च को आएंगे लेकिन सोमवार को एक्जिट पोल ने काफी कुछ बयां कर दिया है। उत्तर प्रदेश में अंतिम चरण का मतदान खत्म होते ही आए एक्जिट पोल से आभास होने लगा है कि उत्तर प्रदेश की जनता करीब तीन दशक पुरानी राजनीतिक परंपरा को तोड़ते हुए लगातार दूसरी बार भाजपा को सत्ता सौंपने को तैयार दिख रही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार विपक्षी खेमे में नया प्रयोग हुआ। यहां पर कोविड से लेकर किसान आंदोलन तक उत्तर प्रदेश को राजनीतिक अखाड़ा भी बनाया गया। सात चरणों के बाद जारी हुए एक्जिट पोल की मानें तो विपक्षी दांव नहीं चल पाया। इसमें सभी सर्वे एजेंसियां भाजपा को बहुमत दे रही हैं। औसतन भाजपा को 403 में से 250 के आसपास सीटें दी गईं। इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया ने भाजपा के 300 पार के दावे को सही होता दिखाया है। फिलहाल हर तरह से यह जीत बहुत बड़ी होगी क्योंकि प्रदेश में अरसे से कोई सरकार दोबारा नहीं जीती है चुनाव के नतीजों को लोकसभा के लिए अहम माना जाता है। सीटें कम हुईं तो भाजपा को विचार करना पड़ सकता है कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में मिले समर्थन के बाद अब समर्थन कम क्यों हुआ या समर्थकों का उत्साह क्यों कम हुआ। 2017 में भाजपा को साथी दलों समेत सवा तीन सौ सीटें मिली थीं। अगर एक्जिट पोल सही रहे तो उत्तर प्रदेश में भले ही समाजवादी पार्टी की कुछ सीटें बढ़ी हैं लेकिन 403 सीट पर लड़ी देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस तथा बहुजन समाज पार्टी को बड़ी निराशा हाथ लग सकती है।