कोरोना से मौत के आंकड़ों में बाजीगरी कर रहे बाबू

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फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) कोरोना काल में मौत के आगोश में समाये लोगों के परिजनों का दर्द अभी कम नही हो पाया है| वहीं शासन के मरहम लगाये जानें की प्रक्रिया से दर्द और बढ़ नजर आ रहा है| मुआबजे की राशि पानें के लिए जुगत लगा रहे परिजनों को अब स्वास्थ्य विभाग के बाबुओ की खुशामद करनी पड़ रही है| विदित है कि शासन नें कोरोना काल में हुई मौतों के मामले में परिजनों को 50 हजार रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान करनें की घोषणा की है|
गत दिनों शासन के आर्थिक मुआबजे के आदेश जारी होनें के बाद कोरोना के कारण अपने परिजनों को खो चुके लोग आर्थिक सहायता के लिए रिकार्ड दुरुस्त करनें में जुटे हैं| गौर तलब है कि कोरोंना से हुई मौतों का आंकड़ा ऑन लाइन है| इसके बादजूद भी पीड़ित परिवारों को अस्पतालों व सीएमओ कार्यालय के चक्कर लगानें पड़ रहें है| बाबुओ का जबाब लगभग एक साथ होता है कि हमारे यहाँ रिकार्ड में कोरोना से मरनें वालों का नाम दर्ज ही नही है| इस तरीके का एक वाकया फतेहगढ का सामने आया है| सीएमओ कार्यालय परिसर में मौजूद मोहल्ला रंग साजाना निवासी रामप्रकाश शुक्ल के पुत्र मुरली शुक्ल नें आरोप लगाया कि उनकी माँ कामिनी शुक्ला कोरोना से पीड़ित थी जिसकी पुष्टि लोहिया अस्पताल की जाँच में हुई थी| जिसके बाद उन्हें 22 अप्रैल को एल-2 अस्पताल फतेहगढ़ में भर्ती किया गया था| 23 अप्रैल की देर शाम उनकी मौत हो गयी| वह सरकार द्वारा आर्थिक सहायता हेतु कई दिनों से सीएमओ कार्यालय के चक्कर लगा रहे है| उन्हें सम्बन्धित बाबू द्वारा यह कहकर टरकाया जा रहा कि रिकार्ड में उनका नाम नही है| आरोप लगाया कि रिकार्ड दुरुस्त करनें के नाम पर 10 हजार रूपये की मांग की जा रही है|  मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ० सतीश चन्द्रा नें बताया कि आरोप बेबुनियाद है| 194 मृतको की सूची सार्वजनिक है|