कागजों में सिमट गया मुखबिर तंत्र! तकनीक के सहारे पुलिस

CRIME FARRUKHABAD NEWS POLICE

फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) आए दिन पुलिस के साहस, शौर्य व कामयाबी के किस्से के जारी होने वाले प्रेस नोट, फर्द में तो बार-बार यही दोहराई जाती है कि मुखबिर की सूचना पर शराब, असलहा, कारतूस व वांछितों की गिरफ्तार करने में सफलता मिली है। पुलिस भले ही इन गिरफ्तारियों के पीछे मुखबिर की मदद की बात करती हो, लेकिन हकीकत यही है कि आधुनिकता के इस दौर में पुलिस मुखबिर तंत्र का मंत्र ही भूल चुकी है, ठीक वैसी ही इस्थिति मानी जा सकती है जैसे तराजू से बजन तौला जा सकता है लेकिन वस्तु की गुणवत्ता नही परखी जा सकती| यही वजह है कि जिले में हुई कई बड़ी वारदातों का आज भी खुलासा नहीं हो सका है। मुखबिर पुलिस तंत्र की वह रीढ़ होते थे, जो पेचीदा घटनाओं के खुलासे और बड़े अपराधियों को पकड़वाने में मददगार साबित होते रहे हैं। मगर आज की तारीख में पुलिस और मुखबिर के बीच भरोसे वाली बात नही रह गयी है| इसके पीछे एक बड़ी वजह है की और इसी के चलते मुखबिरी की जगह अब आधुनिक तकनीक ने ले ली है। जिसके चलते मुखबिर तन्त्र का उपयोग नरग्न हो गया जो कागजों तक कि सीमित रह गया है| पुलिस अब सर्विलांस, फारेंसिंक व सीसी कैमरे के जरिये ही साक्ष्य जुटाने तक सीमित रह गयी है| जिसके चलते संगीन अपराधों के खुलासे में लम्बा समय भी लग जाता है| कभी-कभी तो खुलासे के बाद भी अपराधी साक्ष्य के आभाव में संदेह का लाभ उठा लेते हैं| इस तरह कि असफलताओं के पीछे मुखबिर तन्त्र का नकारा जाना माना जा सकता है| पुलिस की कार्यशैली पर गौर करें तो पुराने समय से पुलिस को मुखबिरों पर खर्च करने के लिए जिले बजट मिलता है, जिसे गुप्त बजट के रूप में थानों में मुखबिरी पर खर्च किये जानें का प्राबधान है। मगर जब वर्ष 2000/2001 से तकनीक दौर शुरू होनें के बाद हुए बड़े बदलाब के बाद मुखबिर शब्द का प्रयोग केबल पुलिस की कागजी लिखापढ़ी में इस्तेमाल होते देखे जाते है| पुलिस में बड़ी घटनाओं के खुलासे के लिए स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप व सर्विलांस टीम गठित हुई। तब से मुखबिरी पर पुलिस का फोकस कम होने लगा, क्योंकि ज्यादातर घटनाओं के खुलासे में तकनीक बड़ी मददगार बनी। बड़ेे-बड़े अपराधी भी तकनीक की मदद से पकड़े गए। जनपद में कई घटनाओं का पुलिस अभी तक खुलासा नही कर पायी| जिसमे आधुनिक तकनीक भी फेल हो गयी और मुखबिर कि कमी कारण बनी| देखें घटनायें-
तारीख 29 दिसंबर2020 – अमृतपुर थाना क्षेत्र के ग्राम खुशहाली नगला निवासी कृष्णवीर यादव के गन्ने के खेत में एक महिला की हत्या कर शव जलाया गया| घटना को लगभग एक साल हो गया| खुलासा नही हुआ|
तारीख 25 सितंबर 2021- थाना अमृतपुर के ग्राम गहलार में सोता नाला में 35 वर्षीय युवक का शव मिला| जिसकी हत्या कर शव फेंका गया था| पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण सिर में वजनदार वस्तु मारकर हत्या की गयी थी| लेकिन लगभग ढाई महीने बाद पुलिस खाली हाथ है| विवेचक सुरजीत कुमार नें बताया की जाँच चल रही है|
तारीख 25 जुलाई 2019-कमालगंज थाना क्षेत्र के मोहल्ला गाँधी नगर निवासी सुमन पत्नी राकेश कुमार का 25 वर्षीय भाई मिथुन कुमार उर्फ नीतू पुत्र रक्षपाल घर से दौड़ने के लिए निकला| उसके बाद उसकी हत्या कर दी गयी| शव 27 जुलाई को जनपद शाहजहांपुर के थाना मिर्जापुर के ग्राम रसूलपुर भट्टे के निकट रस्सी से गला घोटकर मिथुन को मौत के घाट उतार दिया गया था| 18 अगस्त को परिजनों नें कपड़ो से शिनाख्त कर ली| उसकी हत्या भी आज तक पुलिस के लिए एक रहस्य ही बनी हुई है|
तारीख 31 मई 2020-कोतवाली कायमगंज के ग्राम ज्योता निवासी शिवपाल सिंह शाक्य के खेत में बने कुएं के भीतर एक अज्ञात युवक की सिर कटी लाश मिली थी| कुँए के पास ही पीपल के पेंड के निकट ही एक रक्तरंजित गमछा भी मिला था| जिसका अभी तक पता नही चला|क्या बोले जिम्मेदार-पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार मीणा का भी मानना है कि अपराधियों की धर पकड़ के लिए पुराने फंडे का इस्तेमाल नई आधुनिक टेक्नोलॉजी के चलते उपयोग में कम हो गया है| लेकिन इसके बाबजूद सभी थानाध्यक्ष अपने-अपने क्षेत्र के इस तरह के मुखबिरों के सम्पर्क में रहते है जिन्हें इलाके में होनें वाली घटनाओं की जानकारी रहती है|