फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) शनिवार को भैया दूज पर जेलों में बहनों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान भीड़ बढ़ने पर धक्का मुक्की होने लगी। इसपर हंगामा खड़ा हो गया। पुलिस कर्मियों ने बहनों को समझाकर शांत कराया। जेल प्रशासन ने महिला सिपाहियों की ड्यूटी लगाकर भीड़ को काबू किया।
जिला कारागार व् सेन्ट्रल जेल पर शनिवार को अन्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा भीड़ रही। सुबह से ही महिलाएं अपने भाइयों से मिलने के लिए जेल के बाहर पहुंच गईं। जेल प्रशासन ने महिलाओं की भीड़ को देखते हुए पहले से इंतजाम किए थे। जेल के गेट पर अतिरिक्त पुलिस बल और बंदी रक्षक तैनात किये गये| सुरक्षा और शांति व्यवस्था के लिए महिला सिपाहियों की ड्यूटी भी लगाई थी। जेल के अंदर बंद भाई को देख बहनों के चेहरों पर मुस्कान आ गई और आंखें खुशी से छलक पड़ीं। बहनों ने भाइयों के तिलक लगाया। लेकिन खुद की लायी मिठाई जेल के भीतर दाखिल नही हो सकी|
सेन्ट्रल जेल में 580 महिलाओं नें की मुलाकात
सेन्ट्रल जेल पर सैकड़ो की संख्या में महिलाएं भाईदूज पर अपने भाईयों से मिलने और उनके मस्तक पर तिलक करनें पंहुची| कारागार प्रशासन नें इसके लिए बेहतर व्यवस्था की| अधिकतर बहनें अपने साथ मिठाई का डिब्बा लेकर पंहुची| लेकिन उसे भीतर जाने की अनुमति नही दी गयी| मुलाकात की व्यवस्था देख रहे उप कारापाल सुरजीत कुमार नें बहनों को बताया कि उन्हें जेल के भीतर ही मिष्ठान की व्यवस्था की गयी है| बाहर से मिठाई ले जाने कीअनुमति नही है| जिसके बाद सभी की मिठाई वापस की गयी| बहनें केबल फल और गरी का गोला ही भीतर ले जा सकी| वरिष्ठ जेल अधीक्षक प्रमोद शुक्ला नें बताया कि कुल 223 बंदियों से 580 बहनों और बच्चों की मुलाकात करायी गयी|
जिला जेल में पर्ची लगानें को लेकर धक्का-मुक्की
जिला जेल में भाईदूज के अवसर पर बहनों को लम्बी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा| पहले मुलाकात का पंजीकरण करानें में घंटो लाइन इ लगना पड़ा| उसके बाद हाथ में कारागार की अनुमति वाली मोहर लगवानें के लिए लम्बा समय तक खड़ा होना पड़ा| तब कहीं जाकर उनकी मुलाकात हो सकी| जिला जेल में कुल 531 मुलाकात पर्ची दर्ज हुईं| वहीं कुल 500 बंदियों से 796 बहनों नें भेट त्योहार पर तिलक किया| इसके साथ ही महिला जेल में बंद महिला बंदियों से कुल 11 पुरुषों नें भेट की| जिला जेल के प्रभारी अधीक्षक अखिलेश कुमार नें बताया कि सकुशल सभी बहनों की मुलाकात करायी गयी| बहनों को किसी प्रकार की समस्या ना हो इसका पूरा ध्यान रखा गया| कुल 796 बहनों नें बंदियों से भेट की|