फर्रुखाबाद:(दीपक शुक्ला) समाजवादी चिंतक डॉ० राम मनोहर लोहिया की कर्म भूमि रही है| जिनके नाम से आज समाजवादी पार्टी कई बार सूबे की सत्ता पर काबिज हुई| अपने भीतर जनपद जिन महान हस्तियों का नाम समेंटे है उनमे डॉ० लोहिया का नाम भी समाहित है| उनका भारतीय राजनीति में महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है । देश की स्वतन्त्रता के लिए उनके द्वारा किये गये कार्यों के कारण देशवासी उन्हें सदैव स्मरण रखेंगे । वे भारत में ही नहीं, समस्त विश्व में समानता और आर्थिक समानता के पक्षधर थे। डॉ० लोहिया नें फर्रुखाबाद से लोक सभा का उपचुनाव लड़ा और जीता भी|
डॉ० लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को उत्तरप्रदेश के अकबरपुर नामक गांव में हुआ था । उनके पिता श्री हीरालाल लोहिया और माता कुमारी चन्दादेवी थीं । उनका परिवार मूलत: राजस्थानी था । मिर्जापुर आकर उनके पूर्वज लोहे का व्यवसाय करने लगे । फलत: उनका पारिवारिक उपनाम ‘लोहिया’ हो गया। 1935 में कांग्रेस के विदेश विभाग के प्रमुख बनाये गये । 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन के दौरान वे भूमिगत हो गये और उन्होंने ”कांग्रेस रेडियो” नामक गुप्त रेडियो की स्थापना और संचालन भी किया, जिसे उन्होंने कलकत्ता और बम्बई से गुप्त रूप से चालू रखा । 12 अक्टूबर 1967 को उन्होंने अन्तिम सांसें लीं।
सरस्वती भवन और लाल गेट पर हुई थी लोहिया की चुनावी सभा!
दरअसल वर्ष 1963 में कांग्रेस के सांसद पं. मूलचंद्र दुबे की मौत हो गयी| जिसके बाद लोकसभा का फर्रुखाबाद में उपचुनाव हुआ| जिसमे डा. राममनोहर लोहिया फर्रुखाबाद से मैदान में उतरे थे. 1962 में चीन से मिली हार के बाद देश में कांग्रेस के खिलाफ आक्रोश का माहौल था| 1963 के उप-चुनाव के वक्त सोशलिस्ट पार्टी की फर्रुखाबाद में पकड़ भी मजबूत नहीं थी| कुछ लोग ही उनकी पार्टी के सदस्य थे. लेकिन उन्होंने उन कुछ सदस्यों की लगन को समझा और कांग्रेस से ताल ठोंक दी| डॉ. लोहिया ने पहली सभा शहर के सरस्वती भवन में की थी| इसमें पांच से छह हजार लोगों की भीड़ जमा हुई थी| उन्होंने लोगों से अपने लिए वोट मांगे, साथ ही चुनाव खर्च के लिए खुद ही चंदा इकट्ठा करने को कहा था| इस सभा के बाद देश के कई प्रांतों से समाजवादी कार्यकर्ता यहां पहुंच गए थे| इसमें केरल की सरस्वती अपनी तीन बहनों, पिता और भाई के साथ आई थीं| मतदान से कुछ दिन पूर्व डॉ. लोहिया ने शहर के लालगेट पर दूसरी सभा की थी| जानकर बताते हैं कि वह चुनाव के समय कुल चार-पांच दिन ही फर्रुखाबाद रुके थे| लखनऊ की हबीबा बानो ने भी डेरा डाल दिया था| इनके साथ स्थानीय कार्यकर्ता श्यामा गुप्ता की पत्नी रमा देवी और उनकी भाभी लक्ष्मी देवी भी प्रचार में जुट गई थीं| मतदान के एक दिन पूर्व ही वे दिल्ली चले गए थे| चुनाव जीतने के बाद वह गंगापार में लोगों से मिलने भी आये| इसके बाद से ही उन्होंने घटियाघाट पर पुल बनवाने के प्रयास शुरू कर दिए थे|
बाबू ग्रीश चंद्र कटियार की कोठी बनी थी लोहिया का चुनाव कार्यालय
डॉ० लोहिया नें 1963 का उपचुनाव फतेहगढ़ रोडबेज वर्कशॉप के निकट स्थित बाबू ग्रीश चंद कटियार के आवास में अपना चुनाव कार्यालय बनाया था| जहाँ से उन्होंने लोकसभा का उपचुनाव जीत कर इतिहास रच दिया था| बाबू ग्रीश चंद कटियार उनके खास साथियों में सुमार थे| डा. राममनोहर लोहिया के साथी और खांटी समाजवादी वरिष्ठ अधिवक्ता बाबू गिरीश चंद्र कटियार का भी बीते 19 मई 2013 को निधन हो चुका है|