फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) विभाग की अनदेखी के कारण दिव्यांग को पेंशन संबंधी समस्याओं को लेकर समाज कल्याण विभाग के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। जिससे दिव्यांग को लिए बार-बार विभाग के चक्कर लगाना भी आसान काम नहीं है। पेंशन धारकों का आरोप है कि सरकार पेंशन को लेकर नई- नई नीतियां तो बना देती है लेकिन उन पर अमल नहीं हो पाता है। योजना तो ठीक है लेकिन उसको चलानें वाले योजना से जादा उसका लाभ लेनें वाले को ही चलनें लगते है|
ताजा मामला कमालगंज के ग्राम शेखपुर निवासी असलम का है| दरअसल असलम के दोनों हाथ ट्रेन की चपेट में आनें से लगभग दो वर्षों पूर्व कट गये थे| उसकी पत्नी भी कमर से विकलांग है| जिससे वह मजदूरी करनें के भी लायक नही रहा| इसके उसने बीते डेढ़ वर्ष पूर्व दिव्यांग पेंशन के लिए आवेदन किया| वह किस हद तक दिव्यांग है यह फोटो बता रही है| लेकिन उसकी मजबूरी और लाचारी जिम्मेदारी की कुर्सी पर बैठे हुक्मरानों और उनके कारिंदों को नही दिख रही|
मंगलवार को जिलाधिकारी कार्यालय तीसरी बार अपने दोनों कटें हाथों में उम्मीद का कागज लेकर पंहुचे असलम नें डीएम से भेट की| डीएम कार्यालय से बाहर निकलकर असलम नें बताया कि उसनें बीते डेढ़ वर्ष पूर्व दिव्यांग पेंशन का इंतजार है| तब से केबल चक्कर लगा रहा है| विभाग के एक कर्मी नें उससे बेशर्मी से 500 रुपये की रिश्वत की मांग की| उसके पास देनें को पैसे नही हैं|
जब तीसरी बार वह जिलाधिकारी नें भेट करनें पंहुचा तो डीएम मानवेन्द्र सिंह सख्त हो गये| उन्होंने तत्काल विभागीय बाबू को तलब किया| जबाब-तलब करनें पर अपने पैतरेबाजी के झोले से एक गोली साहब को पकड़ा दी और बोला कि जल्द ही इनकी पेंशन आ जायेगी| डीएम के एक्शन ने उसकी फटी हुई उम्मीद में पैबंद लगानें का कार्य किया|
जिला समाज कल्याण व दिव्यांग-जन सशक्तीकरण अधिकारी राजेश कुमार बघेल नें जेएनआई को बताया कि असलम नें जो आरोप लगाया वह निराधार है| उसका जनवरी को ऑन लाइन आवेदन कराया गया था| पेंशन की जब अगली किस्त आयेगी तो उसको मिलेगी| असलम के हाथ नही है लिहाजा उसके लिए किसी योजना के तहत लोंन दिलाकर दुकान का कारोबार करानें का प्रयास होगा| उसके दोनों हाथ भी लगवाये गयें है|