फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) गर्भावस्था में माँ और बच्चे का शारीरिक और भावनात्मक लगाव गर्भनाल से जुड़ा होता है, क्योंकि गर्भनाल ही माँ और बच्चे दोनों को एक साथ जोड़े रहता है। इसके अलावा यह बच्चे तक ज़रूरी पोषक तत्व भी पहुंचता है।बढ़ते हुए बच्चों में जो सबसे आम परेशानी होती है वह गर्भनाल से ही जुड़ी हुई है। अगर साफ तौर पर बात की जाए तो यह अवस्था बच्चे के नाभि से जुड़ा हुआ है या फिर गर्भनाल का वह हिस्सा जो शरीर के बाकी हिस्सों से जुड़ा हुआ है। इस समस्या को अम्बिलिकल हर्निया कहते हैं जिसमें बच्चे की नाभि काफी उठी हुई होती है। कई पेरेंट्स इसे समझ नहीं पाते और घबरा कर सोचने लगते हैं कि इस समस्या का समाधान केवल सर्जरी से हो सकता है।
हालांकि यह बिल्कुल भी सच नहीं है। यह कहना है डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ शिबाशीष उपाध्याय का |
डॉ० उपाध्याय कहते हैं कि अम्बिलिकल हार्नियाँ लगभग 100 में से 10 से 20 बच्चे इस बीमारी से ग्रसित होते हैं साथ ही कहा कि ओपीडी में प्रतिदिन 2 से 3 बच्चे इस बीमारी से ग्रसित आ जाते हैं | उनके अनुसारअम्बिलिकल हर्निया नवजात शिशुओं में होने वाली एक आम समस्या है। बच्चे के जन्म के तुरंत बाद गर्भनाल में चिमटी लगाकर उसके नाल को काट दिया जाता है। चूंकि नाल में कोई नस नही होती इसलिए बच्चे को किसी भी प्रकार का दर्द नहीं होता। बच्चे के पेट पर नाल का जो हिस्सा जुड़ा रह जाता है उसे स्टंप यानी ठूँठ कहते हैं और उस पर चिमटी लगी रहती है। यह ठूँठ दो से तीन सेंटीमीटर लंबी होती है और अपने आप ही सूख कर गिर जाती है।
डॉ० उपाध्याय कहते हैं अम्बिलिकल हर्निया बच्चों और बड़ों दोनों को हो सकता है। आम तौर पर बच्चों में यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। बच्चों के मामले में यह समझना बेहद ज़रूरी है कि उनका शरीर अभी तक पूरा विकसित नहीं हुआ है और हर्निया तब उभरने लगता है जब उनका कोई आंतरिक अंग पेट में कमज़ोर हिस्से पर दबाव बनाने लगता है। यह बम्प या लम्प की तरह दिखाई देने लगता है। सबसे आम हर्निया जो बच्चों में पाया जाता है वह अम्बिलिकल हर्निया होता है।
इस स्थिति में बच्चा जब रोता है या फिर दर्द में होता है तो उसकी नाभि बाहर की तरफ आ जाती है। सामान्य परिस्थिति में नाभि अपनी जगह पर ही होती है जहां उसे होना चाहिए। करीब दस प्रतिशत बच्चे जन्म के बाद शुरूआती दिनों में अम्बिलिकल हर्निया का शिकार हो जाते हैं। कई मामलों में इसमें उपचार की ज़रुरत ही नहीं पड़ती क्योंकि धीरे धीरे यह अपने आप ही ठीक हो जाता है।वह हिस्सा जहां बच्चे का धड़ उसके जांघों से मिलता है वहां अकसर पेरेंट्स को गाँठ दिखाई पड़ती है। इस तरह की गाँठ या तो मुलायम हो सकती है या तो बहुत ही सख्त। यदि आपको ऐसा कुछ भी दिखाई पड़े तो फौरन अपने डॉक्टर से संपर्क करें और उन्हें इसके बारे में जानकारी दें।