फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) नगर में दिवाली की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस बार सभी बाजारों में स्वदेशी झालरों की धूम है। ग्राहक भी घर-आंगन को सजाने के लिए स्वदेशी झालर खरीद रहे हैं। गाय के गोबर से बने दीये भी बाजार में उपलब्ध हैं। चीन के उत्पाद इस बार बाजारों से दूर हैं| चीन के साथ तनातनी वाले माहौल के बाद झालर के बाजार में 90 फीसद तक कब्जा करने वाले चाइनीज झालरों की बत्ती गुल हो गई है। इस बार इलेक्ट्रिकल्स व्यापारियों ने चाइनीज झालरों को दरकिनार कर दिया है। हालांकि, शहर में कुछ जगहों पर दाम कम होने के कारण चाइनीज झालरों की खरीदारी हो रही हैं। लेकिन अधिकतर ग्राहक दुकान पर पहुंचकर देशी और भारतीय झालर ही मांग रहे हैं। कुछ व्यापारी स्वयं ही देशी झालर व फैंसी लाइटें तैयार कराकर बाजार में लाए हैं। कई प्रकार की देशी झालर 150 से 600 रुपये के बीच बाजार में उपलब्ध हैं।
दस गुना महंगी भारतीय झालर
झालरों के व्यापारी संजीव कुमार ने बताया कि इस बार चाइनीज झालर की उपलब्धता बाजार में पहले से कहीं अधिक कम है। लेकिन यदि एक ग्राहक की दृष्टि से देखा जाए तो वह दाम को लेकर चाइनीज झालर ही पसंद करता है। भारतीय या देशी झालरों की रेंज 150 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये तक के बीच है, वहीं चाइनीज झालर बीस रुपये से लेकर 100 रुपये तक बाजार में उपलब्ध हैं। ऐसे में ग्राहक अपनी पॉकेट को देखते हुए चाइनीज झालर ही खरीदते हैं।
चाइनीज झालर यानि गारंटी शून्य
चाइनीज झालर के दाम बेशक दस गुना कम हों, लेकिन इनकी गारंटी कुछ नहीं होती। वहीं, देशी और भारतीय झालर इससे कई गुना बेहतर और गुणवत्तापूर्ण होती हैं। इस बार बाजार में पिछले वर्षों की भांति सजावट नहीं होगी। हालांकि, कुछ स्थानों पर सांकेतिक तौर पर बाजार सजाया जाएगा।
दाम कुछ भी हों, खरीदेंगे स्वदेशी झालर
फतेहगढ़ निवासी रामजी दुबे कहते हैं कि चीन ने हमेशा भारत के साथ धोखा देने का काम किया हैं। आए दिन सीमा पर तनातनी इसी का उदाहरण है। रामजी का कहना है कि वह इस बार पूर्ण रूप से देशी और भारतीय झालर का ही उपयोग करेंगे। किसी भी कीमत पर कोई भी चाइनीज आइटम नहीं खरीदेंगे। बेशक उन्हें दाम अधिक चुकाने पड़ें। इसी तरह शहर का एक बड़ा तबका ऐसा है, जो इसी तरह की सोच के साथ दीपावली की खरीदारी करेगा।