आजम खां का पुत्र अब्दुला छह वर्ष तक नहीं लड़ सकेंगे चुनाव

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लखनऊ: समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खां के पुत्र अब्दुल्ला आजम खां छह वर्ष तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय की ओर से राष्ट्रपति को लिखे पत्र में अब्दुल्ला आजम को भ्रष्ट आचरण का दोषी करार दिए जाने पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा आठ-क के तहत चुनाव लड़ने से रोके जाने की संस्तुति की है। विधानसभा सचिवालय की ओर से भेजे गए पत्र पर राष्ट्रपति भारत निर्वाचन आयोग से सहमति प्राप्त करके चुनाव लड़ने से रोकने का आदेश जारी करेंगे।
विधानसभा सचिवालय की ओर से राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश की रामपुर की स्वार विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित अब्दुल्ला आजम खां द्वारा अपनी जन्मतिथि गलत दर्शाने के कारण इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनको भ्रष्ट आचरण का दोषी माना। इसी कारण अब्दुल्ला की विधानसभा सदस्यता भी समाप्त हो गयी थी। स्वार सीट पर उप चुनाव भी प्रस्तावित है।
बता दें कि रामपुर जिले के पूर्व विधायक नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने अब्दुल्ला आजम खां के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का आग्रह करते हुए पत्र लिखा था। इसमें अब्दुल्ला को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किये जाने के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा-8(1) का उल्लेख किया गया है। इस पर विधानसभा सचिवालय द्वारा विधि विभाग की राय ली गई, जिसमें अब्दुल्ला आजम को चुनाव से रोके जाने की संस्तुति की गई। प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे का कहना है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा-8(1) में भ्रष्ट आचरण के दोषी को चुनाव लड़ने से रोके जाने का प्रावधान है।
बता दें कि अब्दुल्ला आजम स्वार टांडा सीट से 2017 में चुनाव जीते थे। बीते साल 16 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला आजम की विधानसभा सदस्यता को अवैध धोषित कर दिया था। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तह अब्दुल्ला आजम खान का निर्वाचन 16 दिसंबर 2019 से विधि शून्य कर उन्होंने अयोग्य घोषित कर दिया गया था। दरअसल, 2017 में नामांकन के समय अब्दुल्ला आजम की उम्र 25 साल नहीं थी, लेकिन उन्होंने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कर चुनाव लड़ा था और जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। अब्दुल्ला आजम के निर्वाचन के खिलाफ बहुजन समाज पार्टी के नेता नवाब काजिम अली खान ने याचिका दी थी। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पाया कि अब्दुल्ला उस समय चुनाव लड़ने के पात्र नहीं थे। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अब्दुल्ला आजम सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी थी।