यूपी के दो बच्चों से अधिक वाले लोगों पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पाबंदी के संकेत

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लखनऊ: जनसंख्या नियंत्रण की खातिर उत्तर प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन में दो बच्चों से अधिक वालों पर पाबंदी लगाई जा सकती है। इस आशय के प्रस्ताव पर यूपी सरकार इसके नफा-नुकसान का आकलन करने में जुटी है। उधर, निर्वाचन नियमावली बदलाव को लेकर राजनीतिक गर्माहट बढ़ गई है। समाजवादी पार्टी ने इसे असंवैधानिक बताया है। वहीं ग्राम प्रधान संगठन ने इस मुद्दे पर पहले आम सहमति बनाने पर जोर दिया है।
अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह ने बताया कि दो बच्चों से अधिक वाले व्यक्तियों को पंचायत चुनाव लड़ने की इजाजत न देने व प्रत्याशी की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित करने जैसे प्रस्तावों पर सरकार विचार कर रही है, लेकिन इस बारे में अभी अंतिम तौर पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान लंबे समय से जनसंख्या नियंत्रण को लेकर मुहिम छेड़े हुए हैं। इसके लिए चुनाव प्रक्रिया को बदलने की मांग करते आ रहे हैं। राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के अलावा सांसदों व विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इसे बारे में कानून बनाने की पैरोकारी भी करते रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पूर्व जुलाई महीने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान के पत्र ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। उन्होंने पंचायत चुनाव में दो बच्चों से अधिक वाले व्यक्तियों को निर्वाचन प्रक्रिया में शामिल नहीं करने का कानून बनाने की मांग करते हुए उत्तराखंड व हरियाणा राज्य में यह व्यवस्था लागू होने की बात कही है। सूत्रों का कहना है कि यूपी सरकार इस मुद्दे पर जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करना चाहती है क्योंकि यूपी बड़ा राज्य होने के साथ यहां जातीय समीकरण राजनीति की दिशा निर्धारित करते है। कोरोना महामारी और आर्थिक मुश्किलों में उलझी सरकार सभी पहलुओं पर विचार कर रही है।
सभी जनप्रतिनिधियों पर यह नियम लागू हो
केंद्रीय मंत्री डॉ. बालियान कहते हैं कि आबादी विस्फोट को रोकना है तो सभी चुनावों में व जनप्रतिनिधियों पर दो बच्चों का नियम सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि वह न्यूनतम शैक्षिक योग्यता निर्धारित करने के विवाद में नहीं पड़ने चाहते। आज देश की सबसे बड़ी समस्या बेकाबू होती जनसंख्या है। उधर, समाजवादी पार्टी इस मुद्दे को लेकर सामने तन कर खड़ी हो गयी है। विधायक संजय लाठर का कहना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी को चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए ये शिगूफा चला रही है।