लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में गांव-किसान बेहाल हैं। कई जिलों में नदियों के उफान से गांव के गांव डूब गए हैं, फसलें बर्बाद हो गई हैं। इससे पहले किसान ओलावृष्टि, अतिवृष्टि का शिकार हो चुके हैं। उन्हें अपनी चौपट फसलों का अभी तक मुआवजा भी नहीं मिला है। पशुधन का नुकसान अलग से हुआ है। जब चारों ओर तबाही मच गई है तब मुख्यमंत्री राज्य के जिलाधिकारियों से बैठक कर महज औपचारिकता निभाने की खानापूर्ति कर रहे हैं।
अखिलेश ने जारी बयान में कहा कि प्रदेश में बाढ़ के कारण हजारों हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई है। दर्जनों मौतें हो चुकी है। पलियाकला (लखीमपुर खीरी) में शारदा नदी, तूतीपार (बलिया) में एलगिन ब्रिज और अयोध्या में सरयू (घाघरा नदी) खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। लोग बंधों और सड़क के किनारे शरण लेकर पड़े हैं। उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है। सरकार से कोई राहत नहीं मिल पा रही है। न मिट्टी का तेल, न खाने पीने की सामग्री और न दवाएं हैं, जबकि सिर छुपाने के लिए प्लास्टिक या तिरपाल भी मुहैया नहीं कराया जा रहा है।
अखिलेश ने कहा कि नगरों व उपनगरों में भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं। जलभराव और घरों में पानी से बीमारियों का खतरा उत्पन्न हो गया है। इस सबसे सरकार बेपरवाह है। भाजपा का एजेंडा पीडि़तों से दूर ही दूर रहता है। गांवों की बदहाली में भी भाजपा सरकार अपना राजनीतिक स्वार्थ साधन करने से नही चूक रही है। यह संवेदनशून्यता की पराकाष्ठा है।