फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला)
जिले में गर्मी का सितम शुरू है। लगातार बढ़ते पारे से आसमान से आग बरसने लगी है। तापमान में बढ़ोतरी से लू के थपेड़े भी झुलसाने लगे हैं। इससे दिन में लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। चिलचिलाती धूप में अगर कोई कंठ को राहत देता है तो वह है मिंट्टी की सुराही व घड़े का शीतल पानी। जी हां, यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी नहीं है। ज्यादातर लोग फ्रिज के रहते हुए भी सुराही व घड़े का पानी पीना ही पसंद करते हैं। इसके कारण गर्मी आते ही कुम्हार के घड़ों व सुराही की बिक्री में तेजी आने लगती है। लेकिन इस बार कोरोना के भय से लोग फ्रिज का पानी पीने से कतरा है| लिहाजा घड़ों की बिक्री गर्मी पकड़ रही है|
नगर में इन दिनों तेज धूप के चलते घरों में घड़ों को लाकर उसका पानी पीने का सिलसिला शुरू हो गया है| जिससे कुम्हार इस बार बेहतर व्यापार की उम्मीद लगाये बैठे है| ग्रामीण क्षेत्र में पूर्व से ही सीधे नलों से या भी घड़ों के पानी पीने का चलन है| लेकिन फ्रिज ने लोगों को घड़े के सोंदे पानी के स्वाद से काफी दूर कर दिया था| लेकिन कोरोना महामारी में लोगों ने फ्रिज के पानी से तौबा कर ली| लोगों का मानना है कि फ्रिज का पानी सेहत के लिए ठीक नही है| लिहाजा अब बाजार में अधिकाशं लोगों का रुख पानी के लिए घड़े खरीदने की तरफ है|
घड़े व सुराही में नल लगाने की तकनीक कर रही आकर्षित
नगर के किराना बाजार में घड़े बिक्री की दुकान चला रहे अनिल प्रजापति नें जेएनआई को बताया कि वह सादा घड़े लेकर आते है| उसके बाद उसमे एक टोंटी लगा देतें है| जिससे ग्राहक को घड़े के पानी में हाथ नही डालना पड़ता है और वह आसानी से पानी को गिलास में टोंटी के माध्यम से निकाल सकता है| अनिल के अनुसार धीरे-धीरे नल लगे घड़ा की मांग बढ़ने लगी। अनिल नें बताया कि घड़ा व सुराही मंगाई जाती है। फिर खुद वे घड़ा में ड्रिल कर छेद करते हैं और नल लगाने के बाद मिंट्टी, सीमेंट व गत्ता मिलाकर उसे फिक्स कर दिया जाता है
45 से 100 रूपये में बिक्री हो रहा घड़ा
दुकानों पर वर्तमान में घड़े 45 से 70 रूपये तक ही है| इसके साथ ही टोंटी लगे घड़े में लगभग 45 रूपये अतिरिक्त खर्चा देना होता है| नगर में कई दुकानें है जिन पर इन दिनों घड़ों की डिमांड बढ़ी है|
(प्रमोद द्विवेदी (भोले) नगर प्रतिनिधि)