लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी के बहुचर्चित माज हत्याकांड में पुलिस इस्पेक्टर संजय राय समेत 7 लोगों को शुक्रवार को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। बता दें, बुधवार को पुलिस इंस्पेक्टर संजय राय समेत सात को हत्या एवं हत्या की साजिश रचने का दोषी ठहराया गया था। यह निर्णय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष न्यायाधीश स्वप्ना सिंह की अदालत ने लिया है।
अदालत के समक्ष सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता मुन्ना लाल यादव का तर्क था कि माज हत्याकांड की रिपोर्ट 29 मई 2013 को वादिनी हुश्न बानो ने इंदिरानगर थाने में दर्ज कराई थी। इसमें कहा था कि घटना के दिन वादिनी का भतीजा माज अहमद रात करीब 10:30 बजे घर में बिस्तर पर बैठकर टीवी देख रहा था। उसी समय तीन लोग एक मोटरसाइकिल से आए। उन्होंने आवाज देकर दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खुलते ही तीनों लोगों ने घर में घुसकर असलहों से फायरिंग शुरू कर दी। गोलियां लगने से माज लहूलुहान होकर बिस्तर पर गिर गया। वारदात कर हमलावर फरार हो गए। माज को इलाज के लिए ट्रॉमा ले जाया गया, जहां पर उसकी मृत्यु हो गई। रिपोर्ट में मकामऊ के रहने वाले फहीम के साले आरिफ और उसके परिवारवालों पर शक जताया गया था।
असफल प्रेम प्रसंग में रची साजिश
अदालत ने अपने 44 पृष्ठ के निर्णय में बताया था कि इस मामले में आरोपित संजय राय ने ही माज की एक रिश्तेदार महिला के साथ अपने असफल प्रेम प्रसंग के कारण अन्य अभियुक्तों के साथ साजिश रचकर उसकी हत्या कराई है। लिहाजा, मामले की परिस्थितियों के अनुसार अभियुक्तों राम बाबू उर्फ छोटू, अजीत राय उर्फ सिंटू, राहुल राय, सुनील कुमार सैनी उर्फ पहलवान, संजय राय, संदीप राय एवं राकेश कुमार सोनी द्वारा अपराध कारित करना साबित होता है।
अलग की गई अजीत यादव की पत्रावली
इस प्रकरण में मुकदमे के विचारण के दौरान अभियुक्त अजीत यादव फरार हो गया था। इस कारण उसकी पत्रावली अलग कर दी गई। अदालत ने सभी दोष सिद्ध आरोपितों को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेजने एवं 28 फरवरी को सजा के प्रश्न पर सुनवाई के लिए जेल से तलब करने का आदेश दिया है।