विधवा विलाप: राजस्व अफसरों की कामधेनु प्रवेश की अंतहीन कथा

EDITORIALS FARRUKHABAD NEWS

मंत्री से लेकर संत्री तक, विधायक से लेकर संसद सदस्य तक, डीएम से तहसीलदार तक और रामेश्वरम से नाला तक कामधेनु प्रवेश के कायल रहे है| कभी पत्नी की मनमानी पोस्टिंग न होने पर सहायक खंड शिक्षा अधिकारी को ठोक दिया तो कभी नौकरी देने वाले एसडीएम को ही बलात्कार के झूठे आरोपों में कचहरी में घसीट दिया| सरकार किसी की भी हो सभी को चढ़ावा समय से चढ़ाकर क्या निलंबन क्या बर्खास्तगी सब से निपटने में माहिर रहे प्रवेश अब एक ऐसे आरोप में सुर्खियों में है जिसे लिखने में भी संकोच होता है| कोई अपनी ही बेटी के साथ दुराचार करता है सुनकर ही रोगटे खड़े हो जाते है| मगर ये नशा जो न कराये वो कम है|

गीतकार अनजान ने सही ही लिखा है- “नशा शराब में होता तो नाचती बोतल| तो बोतल नाचे न नाचे, प्रवेश की कामधेनु रुपी भ्रष्टाचार की धुन पर सब नाचे| डीएम से लेकर तहसीलदार तक नाचे, विधायक से लेकर एमपी तक नाचे| नाले से लेकर रामेश्वरम तक नाचे| खूब नाचे, झूम झूम कर नाचे| नेता नाचे, अफसर नाचे, सत्ता नाची और पुलिस भी नाची| गाँधी छाप में बहुत दम है इस बात को प्रासंगिक भी प्रवेश ने किया| तहसीलदार की आँख टेड़ी हुई तो एसडीएम को नचाया और एसडीएम की आँख टेड़ी हुई तो डीएम को नचाया| वर्ना सुना था कभी कि एसडीएम द्वारा गंभीर और पुष्ट आरोपों में बर्खास्तगी के बाद डीएम ने चुपचाप बहाली कर दी| कभी सजातीय विधायक और डीएम की जोड़ी का होना तो कभी सत्ता के लिए करोडो की जमीन नाम चढ़ाने का लालीपॉप चुसाना, हर फन में माहिर इस आदमी ने तो लेखपाल बिरादरी पर ही दाग लगा दिया| दाग तो बहुत लगे मगर ऐसा दाग जो पूरे समाज को ही झकजोर कर रख दे आज तक न लगे होंगे| कोई अपनी बेटी …..|

राजस्व और राजस्व के अफसर इस कर्मी को कामधेनु मान कर हर बार पालते पोसते रहे| याद करो जब मुलायम की सरकार में कन्या विद्या धन बच्चियों को बारहवी पास करने पर मिलता था| उस समय भी रिश्वत, शराब या अस्मत बिना कुछ लिए 36000/- सालाना आय  से नीचे का आय प्रमाण पत्र नहीं बनता था| कितनी कमजोर लाचार और बेबस बेटियों ने अपने कुंडल गिरवी रख कर रिश्वत दी थी| आरोप तब भी लगे थे, जाँच भी बड़ी थी मगर तब राजस्व के अफसर ऐसे ही कामधेनुयो से अपने लिए नॉएडा और नैनीताल में फ्लैट के लिए चंदा जुगाड़ते रहे| वो भी किसी की बेटियां थी| आय प्रमाण पत्र निरस्त होने की धमकी में बेबस चुप रह गयी| तहसीलदार ने सब लीप पोत साफ़ कर दिया| शाम को नशे की महफ़िल जमी और विदेश में महफ़िल सजाने की योजना बन गयी| जब भी कोई योजना आती नया देश मसाज के लिए चुना जाता| कभी बैंकाक तो कभी पटाया| बिना अनुमति के सात दिन की विदेश यात्रा| शहर के कई नामचीन शरीफ्जादे भी साथ थे| वो तो फेसबुक पर मरघट का कायाकल्प करने वाले एक समाजसेवी का फोटो बैंकाक के एक मसाज सेण्टर में बिकनी गर्ल के साथ दिख गया तो फिर और खंगाला गया| पता लगा पटवारी साहब भी गए थे| एक मामूली सी पटवारी की नौकरी वाला जब मौज मस्ती करने वाला तफरीह करने बैंकाक और मलेशिया जाता होगा तो साहब के लिए कुछ न लाता होगा?

तब समाज के हर वर्ग ने अपना अपना हिस्सा देखा था| किसी ने सोचा था जो एक दिन व्याहता के सगे भाई पर बन्दूक चला रहा है वो कहाँ तक जाएगा| एक बेबस माँ को यह दिन देखना पड़ेगा कि न्याय की गुहार के लिए उसे महिला आयोग को ताकना पड़े| लानत है ऐसे प्रशासनिक तंत्र पर जो रिश्वत यात्रा को पूरा करने के लिए ऐसे बेशर्म और निर्लज्ज लोगो को पालते है| कोई भी सभ्य समाज ऐसे जानवर हो गए इंसानों को नहीं स्वीकारता| न ही उसे लिए खुले समाज में कोई जगह होनी चाहिए| मगर ये भ्रष्टाचार की कामधेनु है कौन इसे छोड़ेगा… ये अंतहीन कथा है फिर कोई नया अफसर नए मोड़ पर ला छोड़ेगा…..