लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को 2 मार्च तक स्कूली बसों का फिटनेस टेस्ट करवाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर जिलाधिकारी संबंधित यातायात अधिकारियों का प्रयोग कर सकते हैं। कोर्ट ने प्रमुख सचिव परिवहन को आदेश का अनुपालन कराया जाना सुनिश्चित करने निर्देश भी दिया है। पीठ ने कहा कि सभी जिलाधिकारी 2 मार्च, 2020 तक रिपोर्ट प्रमुख सचिव परिवहन को देंगे और प्रमुख सचिव 21 मार्च तक रिपेार्ट कोर्ट में दाखिल करेंगे। अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी।
यह आदेश चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस चंद्रधारी सिंह की बेंच ने वी द पीपल संस्था की ओर से वर्ष 2017 में दाखिल याचिका पर पारित किया। याचिका में स्कूली बस दुर्घटनाओं में बच्चों के हताहत होने के मामलों का जिक्र करते हुए स्कूली बसों के नियमित निरीक्षण की मांग की गई है।
कोर्ट ने याचिका में दी घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि कागजों पर तो सरकार ने काफी काम किया है, किंतु जमीन पर नहीं है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि ज्यादातर स्कूली बसों में दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि प्रदेश की हर स्कूली बस का 20 नवंबर 2012 के दिशा-निर्देशों के अनुसार निरीक्षण किया जाए और 2 मार्च तक निरीक्षण अभियान पूरा करके अगले दस दिनों में सभी जिलाधिकारी अपनी रिपोर्ट प्रमुख सचिव, परिवहन विभाग को भेज दें, जिसे 21 मार्च तक कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाए।