‘अभिमन्यु’ की तरह गर्भ में ही म‍िलेंगे संस्कार, बुद्धि और विवेक के गुण

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लखनऊ: गर्भधारण के बाद ही मां समेत पूरा परिवार स्वस्थ, सुंदर और बुद्धिमान बच्चे की कामना करता है। गर्भवती के कमरे में सुंदर बच्चों के चित्र लगाने साथ ही तमाम नसीहतें दी जाती हैं। यह सभी जानते हैं कि गर्भ से ही बच्चा आसपास की हलचल को महसूस करने लगता है। मां की मनोदशा, खानपान और रहन-सहन का असर भी बच्चे पर पड़ता है।
इसी सोच के साथ आयुष्मान योजना में आयुष चिकित्सा के जरिये प्रसव की योजना तैयार की गई है। इसके तहत गर्भ में ही बच्चों के अंदर संस्कार, बुद्धि और विवेक के गुण विकसित किए जाएंगे। इसके लिए देशभर के अस्पतालों व डिस्पेंसरियों को अपग्रेड किया जा रहा है। प्रथम चरण में आयुर्वेद अस्पतालों को जोड़ा जा रहा है। इसके बाद होम्योपैथ, यूनानी व सिद्धा की सेवाएं भी मिलेंगी। पिछले माह दिल्ली में आयुष मिशन बैठक में इसके 19 पैकेज केंद्र को भेजे गए हैं।
गर्भ संस्कार को लेकर वैज्ञानिक तथ्य भी सच साबित हुए हैं। गर्भस्थ शिशु सब सुनने और समझने के साथ ग्रहण भी करता है। संस्कार की विधि गर्भ धारण के पूर्व से ही शुरू हो जाती है। इसमें गर्भवती की दिनचर्या, आहार, ध्यान, गर्भस्थ शिशु की देखभाल कैसी की जाए, इन बातों को सिखाया जाएगा। गर्भ संस्कार में महिलाओं को धूमपान, नशा और तनाव से मुक्त किया जाएगा। गर्भ के 23वें हफ्ते में मां का बच्चे के प्रति कैसा रिस्पांस हो, यह प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें मां बच्चे को स्पर्श का अहसास कैसे दिलाए। उससे अच्छी-अच्छी बातें कैसे करे। उसे कविता, गीत और कौन से मंत्र सुनाएं, यह बताया जाएगा।
यूपी के 523 अस्पताल, पंचकर्म भी शामिल
आयुष सोसायटी की आयुष्मान योजना की नोडल अफसर डॉ. मीनाक्षी के मुताबिक योजना के लिए यूपी के 523 आयुर्वेद अस्पतालों का चयन किया गया है। इसमें लखनऊ के 20 अस्पताल होंगे। कुल 19 पैकेजों पर सहमति बनी। आयुर्वेद पैकेज में महिलाओं को गर्भ संस्कार, सामान्य प्रसव, बच्चों की मसाज, पंचकर्म, गठिया, शिरोधारा हैं।
28 दिन भर्ती कर इलाज
आयुष्मान लाभार्थी 14 दिन से 28 दिन तक भर्ती कर इलाज करा सकता है। अस्पताल को रोज चार हजार और डिस्पेंसरी को दो हजार रुपये मिलेंगे। अस्पतालों को अपग्रेड करने के लिए तीन लाख बजट है।