फर्रुखाबाद: हर घर में मंदिर, सुबह शाम पूजा आरती की धूम। उसी मंदिर में रखी मूर्ति के खंडित होते ही आस्था खत्म। आखिर यह कैसी भक्ति है। हर मंदिर के आगे सिर झुकाकर आगे बढ़ने वाले भी खंडित मूर्तियों को भू-विसर्जन नहीं करते हैं। लेकिन इन सब के बीच घाट पर एक शख्स भीड़ से अलग अपनी धून में मस्त नजर आया| जिसे देख कर लगा कि कोई तो है जिसे अपनी जिम्मेदारी का अहसास है| जो गंगा की पवित्रता को पहले पायदान पर रख रहा है|
पांचाल घाट के दुर्वाषा ऋषि आश्रम के सामने घाट पर कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की भी उमड़ी थी| कोई गंगा में स्नान कर रहा था तो कोई दान-पुन्य और कुछ अपने घर से लाये खंडित प्रतिमाओं को गंगा के रखकर गंगा में गंदगी फ़ैलाने में अपना योगदान दे रहे थे| उस भीड़ से कुछ दूर गंगा की समतल रेती में एक शख्स जमीन को खोद रहा था| पता चला कि जमीन खोदने वाला व्यक्ति रखा रोड पाल नगला निवासी आशाराम पाल है और वह अपने घर से लायी खंडित प्रतिमाओं को गंगा की गोद में ना फेंककर भू-विसर्जन कर रहे थे|
आशाराम नें बताया कि वह अपने घर की खंडित मोतियों को गंगा के किनारे फेंक कर नही जाते बल्कि उनका भू-विसर्जन करते है| ताकि बाद में खंडित प्रतिमा कूड़े के ढेर में पड़ी नजर ना आये| उन्होंने बताया कि यदि प्रतिएक व्यक्ति गंगा के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझ ले तो गंगा गंदी ही ना हों और मूर्तियों की दुर्दशा भी बच सके|