लखनऊ: हैलो, मैं बैरक नंबर छह-ए से कैदी संत राम बोल रहा हूं। मुझे ‘नदिया के पार’ फिल्म का गाना ‘कवना दिशा में लेके चला रे बटोहिया’ गाना सुनना है। कुछ ही देर बाद बैरक में लगे साउंड सिस्टम में गाने की धुन बजने लगती है और कैदी झूम उठते हैं। प्रदेश के मैनपुरी और बिजनौर जेल में कुछ ऐसा ही माहौल है, जो जल्द ही सभी जेलों में सुनने को मिलेगा।
कारागार प्रबंधन की ओर से शुरू की गई इस व्यवस्था को ‘कारागार रेडियो’ नाम दिया गया है। प्रदेश की सभी जेलों में यह व्यवस्था लागू की जा रही है। लखनऊ कारागार में भी जून के अंत तक यह शुरू हो जाएगा। इस बाबत एडीजी जेल चंद्र प्रकाश ने सभी जेल अफसरों को निर्देश जारी किए हैं।
मुख्यधारा से जोडऩे के लिए व्यवस्था लागू
एडीजी जेल चंद्रप्रकाश के मुताबिक, जेल में निरुद्ध कैदियों के जेहन से आपराधिक प्रवृत्ति को समाप्त करने और सजा पूरी कर जेल से छूटने के बाद उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए कारागार विभाग द्वारा ‘कारागार रेडियो’ की शुरुआत की जा रही है। उम्मीद है कि संगीत के माध्यम से कैदियों में आपराधिक भावना में कमी आएगी।
ऐसे चलेगा सिस्टम
योजना के तहत जेल के हर बैरक में एक-एक साउंड सिस्टम लगाए जाएंगे। इसके अलावा परिसर में भी साउंड सिस्टम लगेंगे। हर बैरक में एक माइक भी दिया जाएगा। एक रिकॉर्डिंग और म्यूजिक रूम बनाया जाएगा, जहां एक ऑपरेटर बैठेगा। कैदी रिकॉर्डिंग रूम में जाकर खुद गाने गाकर और कोई संदेश देकर उसकी रिकॉर्डिंग भी करा सकेंगे। फिर एक निश्चित समय पर उन्हें गाना सुनाया जाएगा। कैदी अपनी बैरक से माइक के जरिये गाने की फरमाइश करेंगे और उसके बाद म्यूजिक रूम से उन्हें गाने सुनाए जाएंगे।
क्या कहते हैं एडीजी?
जेल एडीजी चंद्र प्रकाश का कहना है कि कोई भी व्यक्ति जन्म से अपराधी नहीं होता है। वह परिस्थितिवश अपराध करता है। जेल उसका सुधार गृह है। सजा पूरी होने के बाद वह बाहर निकलकर समाज की मुख्यधारा से जुड़े और उसके अंदर से आपराधिक प्रवृत्ति समाप्त हो, इसी उद्देश्य से कारागार रेडियो की व्यवस्था जेलों में की जा रही है।