फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला)सोशल मीडिया फेसबुक व व्हाट्सएप पर इन दिनों सपा,भाजपा,बसपा व कांग्रेस के दावेदारों के समर्थकों में जमकर रायता फैलाया जा रहा है| समर्थक सोशल मीडिया पर पोलिंग करा रहे है| जिसके जादा लाइक उसे बेहतर प्रत्याशी माना जा रहा है| पुराने फोटो लाकर उसे नई तरह से पोस्ट किये जा रहे है| इसके बाद आने वाली कमेंट बची खुची कसर भी पूरी कर रहे है|
दरअसल अभी कांग्रेस,भाजपा व प्रसपा अभी फ़िलहाल अकेले है| सपा और बसपा का गठबंधन हो गया है| जिसके चलते बसपा ने पूर्व एमएलसी मनोज अग्रवाल को जिले का संगठन प्रभारी बनाया है| उन पर सोशल मीडिया पर आरोप लग रहे है कि वह क्षेत्र के गाँवो में कभी भी किसी का दुःख दर्द जानने नही पंहुचे| अचानक उन्हें टिकट दिया जाना किसी भी मायने में उचित नही| वही सांसद मुकेश राजपूत इशारों में हमला करती हुई पोस्ट डाली गयी है| सपा से दावेदारी कर रहे सचिन यादव की मनोज अग्रवाल से तुलना की गयी| जिसमे सचिन की अब तक क्षेत्र में की गयी मेहनत को दर्शाया गया है| कुल मिलाकर जिसका समर्थक उसके लिए महिमा मंडन में लगा है|
पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह यादव के पुत्र सचिन यादव समर्थक सतेन्द्र यादव (लालू) ने अपनी फेसबुक पर सचिन व बसपा प्रभारी मनोज अग्रवाल के फोटो लगाकर पोस्ट की है | जिसमे उन्होंने लिखा है कि 40 लोक सभा क्षेत्र फर्रुखाबाद से सपा-बसपा महागठबंधन का प्रत्याशी किसको होना चाहिए? जो हमेशा क्षेत्रीय जनता के बीच में रहा हो|प्राकृतिक आपदा में जिस ने सहयोग किया हो| यैसे नेता के लिए अधिक से अधिक वोट करें|
वही पंकज प्रकाश ने मनोज अग्रवाल के समर्थन में पोस्ट कर सांसद मुकेश राजपूत पर इशारों में हमला किया है| एक चित्र में मनोज अग्रवाल अपनी पत्नी वत्सला अग्रवाल के साथ बहनों से राखी बंधवा रहे है| वही मुकेश राजपूत अपने साथी सांसदों के साथ लोकसभा के सत्र में जाते हुए फिल्म अभिन्रेत्री रेखा को निहार रहे है| दोनों फोटो एक साथ पोस्ट किये गये है| चित्र के समझा जा सकता है की फोटो पोस्ट कर क्या संकेत दिया जा रहा है| कमेन्ट में पंकज ने लिखा डाक्टर अरविन्द सही होंगे|
इसके साथ ही साथ सोशल मीडिया जब नजर डालें तो पता चलेगा की समर्थक अपने नेताओं और विरोधी को लेकर कैसी-कैसी प्रतिक्रिया दे रहें है| पक्ष-विपक्ष में कमेंट करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। फेसबुक पर मौजूद लोग इस वोटिंग में भाग भी ले रहे हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दोनों उम्मीदवार को नकारते हुए नोटा का उपयोग ((मतलब इनमें से कोई नहीं)) कर रहे हैं। फ़िलहाल समर्थकों में बहस तेज हो गई है। प्रचार, प्रतिकार व कटाक्ष शुरू हो गए हैं।