लखनऊ:छुट्टा गोवंश के रखरखाव के लिए चरागाह की जमीनों का इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसके लिए ग्राम सभा की भूमि प्रबंधक समिति किसी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) या कॉरपोरेट घराने से अनुबंध कर सकती है। वहीं पशु आश्रय स्थलों की स्थापना चरागाह की जमीन से हटकर अनारक्षित श्रेणी की भूमि पर की जा सकेगी। मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने सभी जिलाधिकारियों को इस बारे में शुक्रवार को शासनादेश जारी कर कार्यवाही का निर्देश दिया है। इसके साथ ही छुट्टा गोवंश स्थल के लिए आवंटित 78.5 करोड़ रूपये सरकार ने मंजूर कर दिए है| जेएनआई ने बीते दिन अन्ना मबेशियों के खाने को वजट ना होने की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी|
अनारक्षित श्रेणी भूमि की व्यवस्था होगी
शासनादेश के मुताबिक चरागाह की जमीन पर पशुओं के लिए चारा मुहैया कराने वाली वृक्ष प्रजातियों को रोपने और पशुओं के पानी पीने के लिए नलकूप व चरही आदि की स्थापना के लिए गांव की भूमि प्रबंधक समिति किसी गैर सरकारी संगठन और कॉरपोरेट घरानों से अनुबंध कर सकती है। इसके लिए ग्राम पंचायत की खुली बैठक में प्रस्ताव पारित किया जाएगा जिसमें भूमि प्रबंधक समिति प्रथम पक्ष होगी। वहीं छुट्टा गोवंश के लिए पशु आश्रय स्थलों का निर्माण ग्राम सभा के प्रस्ताव के बाद और उसके प्रबंधन के अंतर्गत सुरक्षित श्रेणी से इतर श्रेणी की जमीनों पर किया जा सकता है। इसके लिए गोचर (चरागाह) भूमि के पास में विनिमय के जरिये अनारक्षित श्रेणी भूमि की व्यवस्था की जा सकती है।
गोवंश स्थल के लिए आवंटित 78.5 करोड़
मुख्य सचिव ने अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल की स्थापना व संचालन तथा उनमें संरक्षित गोवंश के भरण-पोषण के लिए मंडी परिषद को जल्द रकम उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड के सात जिलों में से प्रत्येक को 1.50 करोड़ और अन्य 68 जिलों में से प्रत्येक को एक करोड़ रुपये की दर से कुल 78.50 करोड़ रुपये की रकम जिलाधिकारियों को आवंटित करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। योजना भवन में जिलाधिकारियों व अन्य संबंधित अधिकारियों को मुख्य सचिव ने अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल की स्थापना के लिए अलग बैैंक खाता खोलने का निर्देश दिया। साथ ही हिदायत दी कि निराश्रित पशुओं के रख-रखाव व भरण-पोषण में किसी तरह की असुविधा न होने पाए। मुख्य सचिव ने बताया कि पूर्व में वृहद गो-संरक्षण केंद्रों के निर्माण के लिए बुंदेलखंड के सात जिलों को 10 करोड़ रुपये और अन्य 68 जिलों के लिए मंजूर एक करोड़ रुपये में से पहली किस्त के तौर सीधे जिलाधिकारियों को आवंटित करने के निर्देश दिए।