खास खबर:यह शख्स रोज करता परिंदों की मेहमान नवाजी

FARRUKHABAD NEWS FEATURED धार्मिक सामाजिक

फर्रुखाबाद:(दीपक शुक्ला)ऋषि-मुनि, संत-महात्मा सही कह गए हैं कि पशु-पक्षियों को दाना-पानी खिलाने से मनुष्य के ज‍ीवन में आने वाली कई परेशानियों से छुटकारा बड़ी ही आसानी से मिल जाता है। एक ओर ईश्वर की भक्ति के कृपा पात्र बनते हैं वहीं हमें अच्छे स्वास्थ्य के साथ ही पुण्य-लाभ भी प्राप्त होता है। धर्म व अध्यात्म से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर आपके मन में भी दिनभर बेचैनी-सी रहती है। आपके काम ठीक समय पर पूरे नहीं हो रहे हैं। पारिवारिक क्लेश नियमित रूप से चलता रहता है। स्वास्थ्य ठीक नहीं है आदि…. तो ‍निश्चित ही आपको पक्षियों को दाना खिलाने से आनंद की प्राप्ति होगी और आपके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। चींटी, चिड़ियों, गिलहरियां, कबूतर, तोता, कौआ और अन्य पक्षियों के झुंड और गाय, कुत्तों को नियमित दाना-पानी देने से आपको मानसिक शांति प्राप्त होगी। अत: पशु-पक्षियों को दाना-पानी देने से ग्रहों के अनिष्ट फल से छुटकारा मिलता है। यही कुच ध्यान में रखकर गंगा की पूजा के साथ ही साथ परिंदों की महेमान नबाजी में दशकों से लगे है राजेश औदिच्य| जो पक्षियों के संरक्षण के लिए भी एक प्रेरणा दे रहें है|
आधुनिकता के इस भागमभाग में दूसरों की सेवा के लिए वक्त निकल आये तो भला इससे बड़ा पुण्य और क्या हो सकता है। समाज में अभी भी बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें खुद से ज्यादा दूसरों की चिंता रहती है। ऐसे ही शख्स हैं पांचाल घाट के राजेश औदिच्य जो चिड़ियों की रोज मेहमाननवाजी करते है। लोगों से दूर भागने वाले पक्षी इनकी एक आवाज में झुंड मारकर एकत्र हो जाते हैं।’परहित सरिस धर्म नहीं भाई’ गोस्वामी तुलसीदास की इस पंक्ति का मर्म पांचाल घाट पर रहने वाले राजेश पूरी तरह से समझ चुके हैं। गंगा के किनारे कर्मकांड करके गुजर-बसर करने वाले राजेश करीब एक दशक से चिड़ियों को दाना,दालमोट व जलेबी चुगा रहे हैं। सुबह दुकान खोलने के बाद इनका पहला काम पक्षियों की आवभगत करना है। दुकान खुलते ही इनके पास गलहरी, कौवे व अन्य चिड़ियां झुंड मारकर पहुंच जाती हैं फिर देर तक अनाज के दानों व जलेबी के स्वाद व दालमोठ का लुत्फ उठाते हैं।
राजेश ने जेएनआई को बताया कि पक्षियों को भोजन कराने की प्रेरणा यूं तो उनके संरक्षण को लेकर मिली| राजेश का कहना है की सुबह सबसे पहले पक्षियों को दाना व अनाज के दाने खिलाते हैं| इनकों भोजन कराने के बाद ही खुद भोजन ग्रहण करते हैं। इससे मन को शांति प्रदान हो रही है। लिहाजा अब यह कार्य उनकी दिनचर्या में शुमार हो गया है।
सहयोग: प्रमोद द्विवेदी नगर प्रतिनिधि