फर्रुखाबाद:बाल संरक्षण आयोग की सदस्य प्रीती वर्मा नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा (आरटीई) अधिनियम को प्रभावी बनाने को लेकर काफी गम्भीर दिखी| उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में इस अधिनियम के तहत बच्चो को उनका अधिकार दिलाने को लेकर सरकार प्रयास कर रही है| लेकिन निजी विधालयों को भी इसके प्रचार-प्रसार में सहभागिता करनी होगी|
फतेहगढ़ के पीडब्लूडी निरीक्षण भवन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि पूरे यूपी का सर्वे किया गया है| प्रदेश के निजी विधालयों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम की स्थिति उतनी नही है जितनी होनी चाहिए थी| बच्चो के लिए काम करने वाली निजी संस्थाओं के साथ ही साथ निजी विधालयों को इसको प्रभावी बनाने के लिए आगे आने की जरूरत है| उन्होंने बताया की समान शिक्षा प्रणाली पर काम चल रहा है| आयोग जल्द कुछ फैसला लेगा|उन्होंने कहा की बाल सम्प्रेक्षण ग्रहों में बंद बाल बंदियों के मामलों की कई वर्षो तक सुनवाई नही होती है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है| लेकिन अब हालात सुधर रहे है| पिछली सरकार ने महिलाओं व बच्चो पर ध्यान नही दिया था|
उन्होंने कहा की स्कूल के समय विधालयों में बच्चो ने झाड़ू लगवाना या बागबानी कराना अपराध की श्रेणी में आता है| बेसिक शिक्षा के अधिकारियों पर भी वह खफा दिखी| उन्होंने एक सबाल के जबाब में कहा की यदि फर्जी छात्र संख्या अंकित करके किताबों को जलाने के मामले को संज्ञान में लिया जायेगा और कार्यवाही भी होगी| इस दौरान उन्होंने परिषदीय विधालयों की स्थिति भी देखी और ईंट भट्टो पर काम करने वाले बच्चो से मिल उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों को कड़े निर्देश दिये|