बलिया:बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह ने एक बार फिर अपनी पार्टी को अपने बयानाें से असहज किया है। उन्हाेंने कहा है कि कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता। अपना दिल भी टटोल कर देखो फासला बेवजह नही होता….। ये पंक्तियां पूरी चरितार्थ है तीन राज्यों में भाजपा सरकार के पराजय की। तीनों राज्य सरकारें अच्छा काम कर रही थी, जनहित का काम कर रही थीं। बावजूद इसके केंद्र सरकार की एससी, एसटी एक्ट की नीति ले डूबी। सवर्णों को नाराज कर भाजपा सत्ता में नहीं रह सकती।
यह इतना ही सत्य है जितना पूरब से सूर्य उदय होना। मेरे कहने के मतलब यह नहीं है कि दलित भाइयों के साथ हकतल्फी हो किंतु गैर दलितों का भी सरकार को ख्याल रखना चाहिए क्योंकि भाजपा की नीति सबका साथ- सबका विकास का है। इस एक्ट के कारण पूरा सवर्ण समाज भयभीत है। जितना वोट तीनों राज्यों में गैर दलित समाज के लोगों ने नोटा में डाला है, उतने से ही यहां का चुनाव परिणाम बदल सकता था।सुरेंद्र सिंह गुरुवार को बैरिया में पत्रकारों से मुखातिब थे।
उन्होंने कहा कि अगर 2019 में केंद्र सरकार पुन: सत्ता में वापसी चाहती है तो उसे एससी, एसटी एक्ट पर पुन: विचार करना पड़ेगा और राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कराना पड़ेगा अन्यथा की स्थिति में भाजपा का 2019 के चुनाव में भी भारी नुकसान होने की आशंका है। विधायक ने कहा कि मैं शुरू से एससी, एसटी एक्ट का विरोध कर रहा हूं किंतु हमारे जैसे छोटे कार्यकर्ता के बातों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।
जिस दिन बूछ स्तर के कार्यकर्ताओं के सुझावों पर हाई कमान गंभीरता से लेकर उसे अमली जामा पहनाने लगेगा, उसी दिन से पार्टी काफी सशक्त हो जाएगी क्योंकि कार्यकर्ताओं का मनोबल काफी ऊंचा हो जाएगा। वह पूरे उत्साह के साथ काम करेंगे और उन्हीं के बदौलत जनता -जनार्दन का आशीर्वाद हमें पाप्त होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार दोनों जनहित में कार्य कर रही है किंतु उस जनहित पर ये दोनों मुद्दे भारी पड़े हैं, और आगे भी भारी पड़ेंगे।