फर्रुखाबाद:(कम्पिल)दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण मुख्य मार्गो पर बेधड़क दौड़ते ट्रैक्टर-ट्राली भी होते हैं। ताज्जुब की बात यह कि इन गाड़ियों का पंजीकरण कृषि कार्य के लिए होता है लेकिन इनसे गिट्टी, बालू, ईट, सरिया, मिट्टी की ढुलाई कर व्यवसायिक कार्य किया जाता है। राज्य व नेशनल मार्ग पर चलते समय जब चालक ट्रैक्टर में ब्रेक लगाता है तो वह तो रुक जाता है लेकिन पीछे लगी ट्राली करीब एक फिट तक दाएं और बाएं हिलोर मारती है। इससे बगल से पास लेने वाले बाइक, आटो या अन्य वाहन दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। ट्रैफिक पुलिस व एआरटीओ स्तर से कभी-कभी अभियान तो चलाया जाता है लेकिन इन वाहनों के मुख्य मार्गो पर चलने पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लग पाता। स्थिति यह है कि जिले के चाहे जिस प्रमुख मार्ग पर चले जाइए ट्रैक्टर-ट्राली का प्रयोग कृषि के अलावा व्यवसायिक सामानों को ढोने में दिख जाएगा। इसके चलते दुर्घटनाओं में लोगों के मरने व घायल होने का सिलसिला नहीं रुकता है।
वर्तमान में जिले में ट्रैक्टर-ट्राली मिट्टी ढोने का काम तेजी से चल रहा है| जिसमे वह इस क़ानूनी पेंच से बच जाते है की उनके पास 10 ट्राली मिट्टी आदि ढोने का आदेश है| लेकिन उस 10 ट्राली के आदेश की आड़ में जमकर खनन में प्रयोग किया जाता है| जिससे परिवहन विभाग व सरकार को लाखों की चपत लगती है| लेकिन इसके बाद भी राजनैतिक दबाब के चलते जिला प्रशासन इन पर हाथ नही डाल पता और ट्रैक्टर जमकर कानून सडकों पर तोड़ते रहते है|
क्या कहते हैं ट्रैक्टर-ट्राली के नियम
ट्रैक्टर-ट्राली का उपयोग कृषि कार्य का मानते हुए सरकार ने इसको टैक्स फ्री कर रखा है। इसका कार्य खेत जोतने, खेत से खलिहान तक बोझा ढोने, गेहूं की मड़ाई करने आदि है। इसके इतर व्यवसायिक कार्य करते पाए जाने पर इन्हें बंद करने, लगभग चार हजार रुपये जुर्माना वसूल करने के पश्चात बैक लाइट, रिफ्लेक्टर, फिटनेस आदि दुरूस्त कराने, चालक का ड्राइविंग लाइसेंस चेक करने के बाद ही छोड़ने का प्रावधान है।
हो सकता व्यवसायिक पंजीकरण
ट्रैक्टर-ट्राली मालिक यदि अपने वाहन का प्रयोग व्यवसायिक कार्य में ही करना चाहते हैं तो इसके लिए भी पंजीकरण करा सकते हैं। चूंकि व्यवसायिक पंजीकरण कराने पर हर तीन महीने पर करीब चार हजार टैक्स, हर साल फिटनेस टेस्ट कराना होता है। साथ ही परमिट, बीमा, रिफ्लेक्टर व बैक लाइट आदि दुरुस्त रखने की बाध्यता होने के चलते अधिकांश लोग बगैर टैक्स दिए कृषि कार्य के लिए ही परमिट कराते हैं।
बारात में भी करते हैं इस्तेमाल
ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले शादी ब्याह में बराती के लिए आयोजक ट्रैक्टर ट्राली का ही उपयोग करते है। ट्रैक्टर ट्राली शादी के आयोजकों को सस्ते व सुलभ मिल जाते हैं। बरात के लिए बसों की बुकिंग आयोजकों को महंगी पड़ती है। निम्न व मध्यम वर्गीय परिवार के आयोजक बस की बुकिंग भी नहीं करा पाते। ट्रैक्टर ट्राली पर बैठे लोग हादसे को निमंत्रण देते हैं।
एआरटीओ मोहम्मद हासीब ने जेएनआई को बताया की ट्रैक्टर ट्राली कृषि यंत्र में आते हैं, इस कारण इन पर विभाग की नजर कुछ कम रहती है। वैसे नियम तो उन्हें भी चेक करने का है| रोड पर यदि ट्रैक्टर से व्यापार होता या मिट्टी ले जाते अबैध रूप से पकड़ा जाएगा तो कार्यवाही की जाएगी।