फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) जनपद में नगर पंचायत व नगर पालिका अध्यक्ष व सभासद पद के चुनाव में पहले गुटबाजी का हाई वोल्टेज ड्रामा खूब हुआ। नामजदगी के पर्चे दाखिल के समय ही प्रत्याशियों के शक्ति प्रदर्शन से सियासी फिजा गरम करें का प्रयास किया। उसके बाद प्रत्याशी वोटरों को रिझाने और उन्हें अपने पाले में लाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने में जुटे है| लेकिन मतदाता चुप्पी साधे है|
प्रत्याशी जातीय कार्ड,सामाजिक न्याय, अगड़ा-पिछड़ा हर तरह के कार्ड खेलने से परहेज नहीं कर रहे हैं। नगर की गलियों में गुटबाजी साफ दिखने लगी है। चौपाल, चाय दुकानों पर चुनाव चर्चा जोरों पर है। ऐसे में वोटर भी चुप्पी साधे हुए हैं। वे इस चुनावी पचड़े से दूर रहते हुए विभिन्न गुटों से तटस्थ रहना चाहते हैं। चुनाव में मैदान में उतरे प्रत्याशी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की फिराक में जुटे हुए हैं लेकिन मतदाताओं की खामोशी प्रत्याशी की बेचैनी को बढ़ा रही है। ऐसे में प्रत्याशियों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। क्योंकि मतदाता अपने दर पर आने वाले सभी प्रत्याशियों के साथ एक जैसा व्यवहार कर रहे हैं।
नगर निकाय चुनाव के लिए अपने जनपद की दो नगरपालिकाओं और 4 नगर पंचायतों में 26 नवम्बर को मतदान होना है। मतदान में तीन दिन का समय शेष है। जैसे-जैसे समय नजदीक आता जा रहा है। प्रत्याशियों के प्रचार की रफ्तार चरम पर है। प्रत्याशी समर्थकों के साथ सुबह चार बजे से ही मैदान में उतर रहे हैं। देर रात लगभग 12 बजे तक घर-घर दस्तक देने के बाद कार्यालय पहुंच रहे हैं। जहां वह समर्थकों के साथ बैठकर दूसरे दिन की रणनीति बनाते हैं। कुछ घंटों की नींद लेने के बाद वह समर्थकों के साथ ही दोबारा मैदान में उतर जाते हैं।
लेकिन मतदाताओं की खामोशी प्रत्याशियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच रही है। मतदाता हर प्रत्याशी से उसे ही वोट देने का वादा कर रवाना कर रहे हैं। कोई भी मतदाता अभी तक खुल नहीं रहा है कि वह किसके पक्ष में मतदान करेगा। मतदाताओं की चुप्पी को तोड़ने का प्रयास प्रत्याशियों द्वारा किया जा रहा है लेकिन मतदाता खामोश हैं। उनकी यही खामोशी प्रत्याशियों की सिरदर्द बनी हुई है।