फर्रुखाबाद: हाल ही में रिलीज होने वाली रानी पदमावती के जीवन पर आधारित फिल्म का हिन्दू संगठनो ने जमकर विरोध किया| साथ ही साथ उसमे फिल्मांकन पर रोक लगाने के साथ ही फिल्म के निर्देशक का पुतला दहन कर नारेबाजी की|
एक दिसम्बर को फिल्म रिलीज होने वाली है| इस फ़िल्म में चित्तौड़ की प्रसिद्द राजपूत रानी पद्मिनी का वर्णन किया गया है जो रावल रतन सिंह की पत्नी थीं। यह फ़िल्म दिल्ली सल्तनत के तुर्की शासक अलाउद्दीन खिलजी का 1303 ई. में चित्तौड़गढ़ के दुर्ग पर आक्रमण को भी दर्शाती है। पद्मावत के अनुसार, चित्तौड़ पर अलाउद्दीन के आक्रमण का कारण रानी पद्मिनी के अनुपन सौन्दर्य के प्रति उसका आकर्षण था। अन्ततः 28 जनवरी 1303 ई. को सुल्तान चित्तौड़ के क़िले पर अधिकार करने में सफल हुआ। राणा रतन सिंह युद्ध में शहीद हुये और उनकी पत्नी रानी पद्मिनी ने अन्य स्त्रियों के साथ आत्म-सम्मान और गौरव को मृत्यु से ऊपर रखते हुए जौहर कर लिया।
इस फिल्म पर हिन्दू जागरण मंच ने आरोप लगाकर प्रदर्शन किया| चौक पर कार्यकर्ता एकत्रित हुये और आरोप लगाया की निर्देशक संजय लीला भंसाली ने इतिहास से छेड़छाड की है| इस लिये सेंसर बोर्ड इसे रिलीज करने की इजाजत ना दे| संगठन ने संजय लीला भंसाली का पुतला फूंक दिया| इस दौरान जिलाध्यक्ष राघव दत्त मिश्रा, राहुल भाटिया, अमरजीत, शिवकुमार, मनमोहन मिश्रा, डॉ० शिवम अवस्थी आदि रहे|