फर्रुखाबाद: बीजेपी की सदर सीट जनपद में ही नहीं यूपी और केन्द्र में भी चर्चा का विषय रही। क्योंकि यहां पर ब्रह्मदत्त द्विवेदी और विमल तिवारी का खासा दबदबा रहा। पांच बार ब्रह्मदत्त द्विवेदी व विमल तिवारी तीन बार विधायक चुने गये। एक बार ब्रह्मदत्त द्विवेदी की पत्नी प्रभा द्विवेदी बीजेपी से विधायक रहीं। वहीं कांग्रेस से विमल तिवारी तीन बार विधायक चुने गये। 2002 में विजय सिंह ने इस सीट पर जीत हासिल की थी।
विधानसभा में 3,54,286 मतदाता लगातार अपने मताधिकार का प्रयोग करता चला आ रहा है। बात करें 1957 की तो कांग्रेस से रामकिशन, जेएन से 1962 में दयानंद विधायक बने। 1967 व 1969 को आईएनसी से महरम सिंह विधायक रहे। इसके बाद आईएनसी ने विमल तिवारी को 1974 में चुनाव लड़ाया और वह जीते भी। इसके बाद शुरू हुआ ब्रह्मदत्त और विमल तिवारी का खेल।
1977 में जेएनपी से ब्रह्मदत्त द्विवेदी विधायक चुने गये। फिर आईएनसी से 1980 को विमल प्रसाद तिवारी ने पुनः सदर विधायक की कुर्सी पर कब्जा जमा लिया। 85 में भारतीय जनता पार्टी से ब्रह्मदत्त द्विवेदी फिर विधायक बन गये। 1989 को आईएनसी से विमल प्रसाद तिवारी ने पुनः सदर सीट पर कब्जा कर लिया। 1991 से 1996 तक ब्रह्मदत्त द्विवेदी लगातार तीन बार विधायक बने। 1997 में ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या हो गयी थी। उसके बाद 1997 में उनकी पत्नी प्रभा द्विवेदी को जनता ने विधायक की कुर्सी पर बैठाया और वह श्रम मंत्री भी बनीं।
2002 के विधानसभा चुनाव में विजय सिंह आईएनडी से विधायक बने, 2007 में विजय सिंह को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया और वह पुनः जीत गये। लेकिन विजय सिंह ने सपा से इस्तीफा देकर विधायक पद छोड़ दिया। जिसके बाद 2007 में ही हुए पुनः हुए सदर विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी से अनंत मिश्रा अंटू ने विजय सिंह को पटखनी दे दी। 2012 के चुनाव में विजय सिंह फिर विधायक की कुर्सी पर कब्जा करने में कामयाब रहा।
19 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा से 1,61,886 महिला व 1,92,378 पुरुष मतदाता 20 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने वाले हैं।