फर्रुखाबाद: राजनीती में आने और संवैधानिक पदों पर बैठने के बाद नेताओ की सम्प्पति में अत्प्रत्याशित बृद्धि हो जाती हैं ऐसा नेशनल फोरम फॉर इलेक्शन रिफार्म की रिपोर्ट कहती है| रिपोर्ट के अनुसार संवैधानिक पदों पर बैठने वाले नेताओ में 40 फ़ीसदी से ज्यादा दागी भी है| इन रिपोर्ट के आधार पर ही अगर स्थानीय जनता नेताओ का आंकलन करे तो फर्रुखाबाद सदर विधानसभा में वर्ष 2017 के सामान्य विधानसभा चुनावो में चुनाव लड़ने वाले नेताओ की स्थिति बड़ी अजीबो गरीब दिखती है|
भाजपा प्रत्याशी मेजर सुनील दत्त द्विवेदी जहाँ सबसे पढ़े लिखे प्रत्याशी है वहीँ सबसे कम इनकम टैक्स देने वाले प्रत्याशी है| चुनाव आयोग को सौपे गए अपने शपथ पत्र में मेजर सुनील ने अपना अंतिम इनकम टैक्स रिटर्न 3.7 लाख का दर्शाया है| वहीँ पारिवारिक तौर (पत्नी और आश्रित बच्चो समेत) पर सबसे ज्यादा इनकम टैक्स निर्दलीय प्रत्याशी और व्यवसायी मनोज अग्रवाल ने 1.62 करोड़ का अंतिम रिटर्न दिखाया है| व्यक्तिगत तौर पर प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा बसपा प्रत्याशी उमर खान ने 97 लाख का अंतिम इनकम टैक्स रिटर्न दिखाया है तो वहीँ मनोज अग्रवाल का अंतिम रिटर्न 39.76 लाख का है| मनोज अग्रवाल की पत्नी वत्सला अग्रवाल जो फर्रुखाबाद नगरपालिका की चेयरपर्सन भी है उन्होंने अपना इनकम टैक्स रिटर्न 98.03 लाख लाख का दाखिल किया है| | वहीँ तीन बार विधायक रह चुके सपा प्रत्याशी विजय सिंह ने अंतिम इनकम टैक्स रिटर्न 4.15 लाख का दर्शाया है|
निर्दलीय प्रत्याशी मनोज अग्रवाल के पास 9.5 करोड़ की अचल और 17 करोड़ की चल संपत्ति है| उनके ऊपर विभिन्न बैंको का व्यवसायिक कर्ज 13 करोड़ का भी है| मनोज अग्रवाल के ऊपर कोई मुकदमा नहीं है| वर्तमान विधायक और सपा प्रत्याशी विजय सिंह के पास 1.28 करोड़ की चल और 3.45 करोड़ की अचल संपत्ति है| विजय सिंह पर हत्या और हत्या के प्रयास के मुकदमे भी है जिन में उच्च न्यायालय द्वारा सजा पर रोक लगी हुई है और विचाराधीन है|
कुल मिलाकर देखा जाए तो कि इनकम टैक्स का रिटर्न दाखिल करने वाले मामूली सरकारी बाबू और मास्टर भी नेताओ से ज्यादा इनकम टैक्स का रिटर्न दाखिल करता है मगर विधानसभा और लोकसभा का चुनाव लड़ने का खर्च सोच कर ही जाने कितने सरकारी कर्मचारी यूनियनों के नेता केवल मन मार कर ही बैठ जाते है|