नेताजी खुद तो नहीं चाहते कि अखिलेश की नए चुनाव चिन्‍ह के साथ शुरू हो नई सियासी पारी!

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mulayam-singनई दिल्‍ली:क्‍या मुलायम खुद चाहते हैं कि अखिलेश की नए चुनाव चिन्‍ह के साथ नई राजनीतिक पारी की शुरूआत हो। बेशक इस सवाल का जबाव हर किसी के पास न हो। लेकिन सियासत के जो जानकार मुलायम सिंह यादव को लोहिया के शिष्‍य के रूप में जानते हैं वो अंदरखाने के उनके इस दांव को बखूबी समझ रहे हैं। उनका कहना है कि मुलायम अच्‍छी तरह से जानते हैं कि सीएम अखिलेश यादव सपा के चुनाव चिन्‍ह की जंग हार जाएंगे और दूसरे लोग इसका फायदा उठा ले जाएंगे। मौजूदा हालात को देखते हुए मुलायम कतई नहीं चाहेंगे कि अखिलेश के अलावा कोई दूसरा साइकिल की सवारी करे।

साइिकल पर सवारी की जंग लखनऊ के सियासी गलियारों से होती हुई चुनाव आयोग के दिल्‍ली ऑफिस तक पहुंच गई है। अब ये तो आयोग की तय करेगा कि कौन साइकिल की सवारी करेगा, लेकिन फिलहाल तो दोनों ही पक्ष साइकिल के पीछे भाग रहे हैं। और सियासी जानकारों संग मुलायम सिंह यादव जानते हैं कि बेटा कागजी कार्रवाई में चुनाव चिन्‍ह की लड़ाई कभी नहीं जीत पाएगा। और ऐसे में कोई दूसरा उस चिन्‍ह को ले उड़ेगा। इस बारे में राजनीति के विश्‍लेषक और सामाजिक सारोकार से जुड़े डॉ. अरशद बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव खुद चाहते हैं कि अखिलेश यादव अपने इस नए रूप में नए चुनाव चिन्‍ह के साथ आगे बढ़ें।

वो हमेशा के लिए चिन्‍ह की इस लड़ाई को खत्‍म कर देना चाहते हैं। इसलिए इस बात की बहुत संभावना है कि साइकिल का चिन्‍ह आयोग फ्रीज कर देगा। एक नया चिन्‍ह जारी कर दिया जाएगा। आज के हाईटेक जमाने में अब यह कोई मुश्‍किल काम नहीं रह गया है कि चंद दिनों में नए चिन्‍ह को प्रचारित न कर पाएं। और मौजूदा वक्‍त में अखिलेश यादव की जो एक नई छवि उभरकर सामने आई है ऐसे वक्‍त में चुनाव चिन्‍ह को जन-जन तक पहुंचाना अखिलेश यादव खेमे के लिए कोई बड़ा काम नहीं है। अरशद बताते हैं कि मुलायम सिंह चाहते तो लखनऊ में बैठकर ही वो चिन्‍ह की लड़ाई को जीत सकते थे।