उड़ाई आरएसएस की गुजरात संकट ने नींद, शाह हैं पहली पसंद पर बीजेपी नहीं तैयार!

FARRUKHABAD NEWS Politics Politics-BJP

modi-and-shah123123नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में संकटपूर्ण हालात के बीच बीजेपी मुख्यमंत्री आनंदीबेन के उत्तराधिकारी को तलाशने के लिए और वक्त ले सकती है। सोमवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद आनंदीबेन ने फेसबुक पर भी अपने फैसले के बारे में लिखा था।

आनंदीबेन के उत्तराधिकारी पर फैसले स्वतंत्रता दिवस के बाद लिया जा सकता है। बुधवार को बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में इसपर फैसला लिया जा सकता है। सीएम पद के लिए चर्चा में आए अलग अलग नामों के बीच ऐसी खबर है कि बीजेपी अमित शाह को सीएम पद सौंप सकती है। राज्य में विस्फोटक हालात के बीच शाह आरएसएस की पसंद बनकर उभरे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में संकटपूर्ण हालात के बीच बीजेपी मुख्यमंत्री आनंदीबेन के उत्तराधिकारी को तलाशने के लिए और वक्त ले सकती है…

पार्टी के नेताओं और रणनीतिकारों का मानना है कि अगर शाह को गुजरात भेजा जाता है तो यूपी में बीजेपी की चुनावी रणनीति को झटका पहुंच सकता है। दिल्ली और बिहार में हार चुकी बीजेपी यूपी जैसे बड़े सूबे में हार का मुंह कतई नहीं देखना चाहेगी। पीएम के बेहद करीबी शाह को अगर गुजरात भेजा जाता है तो यह पार्टी के संगठनात्मक रूप से भी संकट साबित हो सकता है। बीजेपी के लिए नई परेशानी गुरुवार को मायावती के ऊना दौरे से खड़ी हो रही है। ऊना में गाय की खाल उतार रहे दलितों की बर्बर तरीके से पिटाई ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया था। ऐसा बताया जा रहा है कि गाय को शेर ने मार दिया था। मायावती का ऊना दौरा बीजेपी के लिए सिर्फ गुजरात में ही नहीं बल्कि यूपी चुनावों में भी मुसीबत खड़ी कर सकता है। गुजरात में 7.1 फीसदी वोट बैंक वाली दलित आबादी की इससे पहले कभी बीजेपी ने इतनी चिंता नहीं की जितनी उसे इस बार है।यूपी में नजदीक आते चुनाव के बीच गुजरात में 20 फीसदी पटेल आबादी का भी सरकार के खिलाफ होना पार्टी के लिए चिंता का सबब बनता जा रहा है।
ऊना मैं होगा आरएसएस का सद्भावना सम्मेलन

गुजरात में लंबे संघर्ष के बाद दलितों को बीजेपी से जोड़ने वाले आरएसएस के माथे पर भी ऊना कांड से बल पड़ गए हैं। आरएसएस ऊना में सद्भावना सम्मेलन करने जा रहा है। आरएसएस नेता जयंती भाडेसिया, मुकेश मल्कान की अगुवाई में सम्मलेन होगा। इस सम्मेलन से नाराज दलितों को साथ लेने की कोशिश की जाएगी। सरकार के नाकाफी प्रयासों के बाद आरएसएस को मैदान में उतरना पड़ा है। बताया जा रहा है कि राज्य में ढीली होती सियासी पकड़ मजबूत करने के लिए आरएसएस बीजेपी की हर संभव मदद के लिए तैयार है।