सुप्रीम कोर्ट की शरण में केंद्र, रावत सरकार, कांग्रेस के बागी

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harish-rawat1नई दिल्ली:उत्तराखंड संकट पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी है लेकिन इस पर सुनवाई कब होगी इसपर फैसला चीफ जस्टिस करेंगे। बड़ी बात ये है कि अगले 2 दिनों तक चीफ जस्टिस दिल्ली में नहीं हैं। वहीं मामले पर सुनवाई आज या फिर सोमवार को हो सकती है। कांग्रेस के 9 बागी विधायकों ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उन्होंने अपनी याचिका में स्पीकर के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उन्हें अयोग्य करार दिया गया था।

बागी विधायकों ने स्पीकर के फैसले को चुनौती दी है जिसमें उन्हें आयोग्य घोषित किया गया था। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 18 मार्च की वस्तुस्थिति रखी जाए लेकिन तब तक स्पीकर इन्हें आयोग्य घोषित कर चुके थे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सुप्रीम कोर्ट में एक विरोध-पत्र दायर कर केंद्र की अपील पर किसी फैसले से पहले खुद का पक्ष सुने जाने की भी अपील की है।उत्तराखंड पर नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के बाद केंद्र और हरीश रावत दोनों अपनी अपनी रणनीति बनाने में लगे हैं। शुक्रवार सुबह हरीश रावत ने अपनी कैबिनेट के साथ एक बैठक की।

रावत ने कैबिनेट के साथ एक बैठक की जिसमें 29 तारीख को विधानसभा सत्र बुलाने का फैसला हुआ है। नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक हरीश रावत को 29 अप्रैल को सदन में अपना बहुमत साबित करना है। उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत ने हाईकोर्ट के फैसले के बाद खुशी जताई और कहा कि 29 अप्रैल को वो बहुमत साबित करके दिखाएंगे। वहीं केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा है कि उत्तराखंड में संवैधानिक संकट आने के बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया था और सरकार अपने फैसले पर कायम है।

हरीश रावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जाना केंद्र का अधिकार है लेकिन हमें पूरा भरोसा है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलेगी। केंद्र सरकार से अनुरोध करूंगा कि राज्यों को अपना काम करने दें। संघीय ढांचे में राज्यों के अपने भी अधिकार हैं। आप तब तक राज्यों की सरकारों को रद्द न करें जब तब देश को कोई नुकसान न हो।