फर्रुखाबाद: प्रदेश में नियम कानून तो बहुत है| लेकिन उनका कितना पालन होता है इसका कोई मानक नही| प्रदेश सरकार ने 17 मार्च को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत एक शासन देश पुन: जारी कर दिया| जिसका यदि ईमानदारी से पालन कराया गया तो दूर ग्रामीण अंचलो में रहने वाले गरीब परिबार के बच्चे भी अपने हक की अच्छी पढ़ाई पढ़ सुदामा और कृष्ण की पद्दति पर पढ़ सकेगे|
सरकार ने राइट टू एजूकेशन के तहत निजी विधालयो में 25 प्रतिशत सीटो पर मुफ्त दाखिला देने का फरमान जारी किया है 17 मार्च को जारी किये गये शासनादेश में उल्लेख के साथ ही जिलाधिकारी को भी निर्देश जारी किये गये थे| लेकिन जिलाधिकारी के आदेश को भी निजी विधालयो ने ठेंगा दिखा दिया| हालत यह है की जिले के एक भी विधालय में इस तरह का ना कोई प्रसार-प्रचार का बैनर लगाया और ना ही अभिभावकों को आरटीई की जानकारी दी|
शहर के बड़े से लेकर छोटे किसी भी विधालय में यही हाल है| इस माहौल में आरटीई के अंतर्गत दाखिला मिलना तो दूर केबल दाखिला मिलना ही टेडी खीर है| शहर के नामी विधालय भी इस आदेश को ना मानकर व्यापक प्रचार प्रसार नही कर रहे है| जिससे गरीब परिवारों के नौनिहालों को मंहगे विधालयो में मुफ्त दाखिला नही मिल पा रहा है|
विधालय में ही मिलती है ड्रेस और किताबे
जिले के सभी बड़े विधालय में निर्धारित तारीख पर सभी क्लासों की किताबे, कांपी, पानी की बोतल, मोज़े, पेन्सिल, ड्रेस, कोट, जूते आदि सभी गैर मानक के बिकते है | मजे की बात तो यह है की इन्ही विधालयो में जिले के अधिकारियो के भी बच्चे पढ़ते है| जिससे यह सब कार्यवाही से बचे रहते है|
इस सम्बन्ध मे प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी बागिश गोयल में बताया की कान्वेंट विधालयो में आरटीई एक्ट के तहत यदि पालन होता नही पाया गे तो कार्यवाही की जायेगी| सभी निजी विधालयो को निर्देश है की वह 25 प्रतिशत गरीब बच्चो के लिये आये कानून का प्रचार प्रसार करे| उन्होंने यह भी बताया की विधालयो में कांपी किताबे और कपड़े बेचना भी अबैध है| शिकायत मिलने पर कार्यवाही की जायेगी|
वहीं सपा जिलाध्यक्ष चन्द्रपाल सिंह यादव ने बताया की जो अधिकारी सरकार की जनहित की योजनाओ को लागू कराने में लापरवाही दिखायेगा उसके खिलाफ शासन को लिखा जायेगा|