‘कालजयी है मुंशी प्रेमचंद का साहित्य’

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rjni, rajesh hjeaa, abhivnjnaफर्रुखाबाद : साहित्यिक संस्था अभिव्यंजना की ओर से कराये गये मुंशी प्रेमचंद तथा भारत रत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन जयंती समारोह पर अपनी कहानी और उपन्यास पर तो विद्वानो ने चर्चा की ही साथ ही साथ अमर कथा शिल्पी मुंशी प्रेमचंद के द्वारा लिखे गये साहित्य पर भी गंभीरता से अपने -अपने विचार व्यक्त किये| समारोह में बरेली के क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त आलोक यादव ने कहा कि अमर कथा शिल्पी मुंशी प्रेमचंद का साहित्य कालजयी है। आधुनिक ¨हदी की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विधा कहानी और उपन्यास को प्रतिष्ठित करने में अपने योगदान के लिए प्रेमचंद उपन्यास सम्राट कहलाए।

कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा मां सरस्वती, मुंशी प्रेमचंद व राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन के चित्रों पर माल्यार्पण से हुआ।संस्था प्रमुख डा.रजनी सरीन ने अतिथियों का स्वागत करते हुए साहित्य क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये मुंशी प्रेमचंद व राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन की भूमिका को रेखांकित किया।जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक सुनील चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों में प्रगतिशील एवं मानवतावादी दृष्टि होने से उन्होंने भारतीय जन चेतना को सर्वाधिक प्रभावित किया। स्टेट बैंक शाखा के मुख्य प्रबंधक शिव कुमार मिश्रा ने कहा कि भारत रत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन अनन्य हिंदी सेवी थे।

इस दौरान रामशंकर अवस्थी अबोध,डा.श्रीकृष्ण, डा.रामकृष्ण राजपूत, बृजबिहारी मिश्र, संजय गर्ग, अतुल कपूर आदि लोग मौजूद रहे| कार्यक्रम का संचालन संचालन राजेश हजेला ने किया|