अलीगढ की सिविल जज से रेप मामले में सीबीआई जाँच के आदेश, आरोपियों की गिरफ़्तारी पर रोक

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jajफर्रुखाबाद: जून माह में अलीगढ की सिविल जज रिंकू जिंदल से हुए रेप मामले में नया मोड़ आ गया है| अभियुक्तो की माग पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मामले की सीबीआई जाँच के आदेश दिए है| कोर्ट ने जाँच रिपोर्ट सीधे अदालत को सौपने का आदेश करते हुए अभियुक्तो की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है| रिंकू जिंदल के रेप मामले का मामला सीधा सीधा फर्रुखाबाद जनपद से जुड़ा है| आरोपियों के मुताबिक पूरे मामले में न्यायिक अधिकारी रिंकू जिंदल ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए निर्दोषों को फ़साने के लिए षड्यंत्र रचा है|

न्यायिक अधिकारी रिंकू जिंदल दहेज़ उत्पीड़न में आरोपी बनी थी-
नगर के कादरी गेट निवासी गंगा बुग्गी उद्योग के मालिक रामप्रताप गुप्ता ने अपनी पुत्री रागिनी का विवाह दो साल पहले अलीगढ की सिविल जज रिंकू जिंदल के भाई बरेली निवासी धीरज जिंदल से 30.5.2012 को की थी| रागिनी के मुताबिक उसे ससुराल वालो ने शादी के 6 महीने के बाद ही मारपीट के घर से निकाल दिया| उसका गर्भपात भी उसकी मर्जी के बगैर करा दिया और शादी में दिए 10-15 लाख दहेज़ के अतिरिक्त कार आदि की मांग भी की| इसके बाद गुप्ता से जिंदल बनी रागिनी ने मायके फर्रुखाबाद आकर फतेहगढ़ के महिला थाने में अपने पति धीरज जिंदल, ननद रिंकू जिंदल, ससुर विनय कुमार जिंदल और सास स्वदेश जिंदल के विरुद्ध दहेज़ उत्पीड़न अधिनियम की धारा 498-अ,323, 504, 313, और 3/4 में मुकदमा पंजीकृत करा दिया| इसके अलावा पांच अन्य मुकदमे न्यायालय में रागिनी ने पंजीकृत कराये जिसमे उसके पति धीरज सहित अन्य भी अभियुक्त बनाये गए है और सभी मामले अदालत में विचाराधीन है|

मुकदमा वापसी के लिए रागिनी के भाइयो को फ़साने का प्रयास-
जिन दिनों रागिनी ने मुकदमा लिखाया तब उसकी ननद रिंकू जिंदल आगरा में एसीजेएम पद पर तैनात थी| जज रिंकू जिंदल ने फतेहगढ़ की तत्कालीन महिला थानाध्यक्ष सुभद्रा वर्मा पर मुकदमा ख़त्म करने का दबाब बनाया| थानाध्यक्ष सुभद्रा वर्मा ने इस बात को थाने की जीडी में दर्ज कर दिया| रागिनी के मुताबिक रिंकू जिंदल ने सुभद्रा वर्मा को दबाब में लेने का प्रयास किया मगर विफल हो जाने के बाद रिंकू जिंदल ने 19-7-2013 को आगरा के हरी पर्वत थाने में रागिनी के भाइयो पंकज गुप्ता और गोपाल गुप्ता के विरुद्ध हत्या के प्रयास और धमकी, लूट का मुकदमा धारा 307,452,352 में पंजीकृत करा दिया|

रागिनी के मुताबिक उसकी ननद जज रिंकू जिंदल ने अपने पद का बेजा उपयोग करके नुकदमा लिखा दिया और उसके भाइयो को लपेटने की कोशिश शुरू कर दी| मामले में उसके भाइयो ने डीआईजी से मुलाकात कर पूरी बात बताई और जाँच को उच्चस्तरीय कराने की मांग की| इसके बाद जाँच में जज रिंकू जिंदल द्वारा लिखाया गया मुकदमा झूठा पाया गया और मुकदमा स्पंज कर दिया गया|

स्वयं पर रेप के झूठे मामले में भाइयो को फ़साने का प्रयास-
रागिनी के मुताबिक जब उसकी ननद जज रिंकू जिंदल को लगा कि उन पर और उनके परिवार पर लगे दहेज़ उत्पीड़न के मुकदमे को वापस करने के प्रयास विफल हो रहे है तो उन्होंने मेरे भाइयो को रेप मामले में फ़साने का घातक हथियार इस्तेमाल किया और खुद पर ही रेप करने का सनसनीखेज आरोप लगा दिया| बात जून माह की है जब पूरे प्रदेश में रेप मामलो में गंभीर टीवी मीडिया पर खबरे हो रही थी उसी दौरान 2 जून 2014 की रात को अलीगढ की सिविल जज रिंकू जिंदल के साथ रेप मामले ने मीडिया की सुर्खिया बटोरी| मामला संवेदनशील हो गया और रागिनी के भाइयो को गिरफ्तार करने का दबाब बढ़ गया|

रागिनी के भाई पंकज गुप्ता और गोपाल गुप्ता दोनों भूमिगत हो गए और दोनों ने उच्च न्यायालय की शरण ली| उच्च न्यायालय से विवेचना पूरी होने तक गिरफ्तारी पर रोक लगने से दोनों ने राहत की सांस ली| एक माह बाद 12 सितम्बर 2014 को पंकज गुप्ता और गोपाल गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने दोनों की गिरफ़्तारी पर रोक लगाते हुए मामले को सीबीआई को जाँच के सौप दिया| अदालत ने माना की चूँकि मामला एक जज से संबंधित है लिहाजा पुलिस जाँच की निष्पक्षता में संदेह है| केस की सुनवाई के दौरान रखे गए तथ्यों से भी अदालत ने इत्तिफ़ाक़ रखा| वादी ने आरोप लगाया था कि महिला जज ने पुलिस जाँच में सहयोग नहीं किया और कई विरोधाभासी बयां रिकॉर्ड कराये| वादी ने कथित घटना के बाद अपने पड़ोसियों को बुलाने की जगह मीडिया को कैमरों सहित घटना स्थल पर एसएमएस भेज कर आमंत्रित किया था| अदालत ने अपने 25 पेज के आदेश में पंकज गुप्ता और गोपाल गुप्ता को राहत देते हुए लिखा कि बिना किसी वाजिव कारणों के किसी की गिरफ़्तारी करना एक नागरिक की आज़ादी में बाधा बनना है जो की संवैधनिक अधिकार है|

जितना घिनौना अपराध बलात्कार है उतना ही घिनौना किसी को झूठे बलात्कार केस में फ़साना- अदालत
जज रिंकू जिंदल से बलात्कार मामले में आरोपियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने टिपण्णी की कि जितना गंभीर अपराध बलात्कार करना है ठीक उतना ही गंभीर अपराध किसी निर्दोष को झूठे बलात्कार केस में फ़साना| और महिलाओ को ऐसे मामलो में दण्डित नहीं किया जाता| रिंकू जिंदल केस में आरोपियों ने अदालत को संतुष्ट किया कि दहेज़ उत्पीड़न के केस में फसी जज रिंकू जिंदल ने बदला लेने और अपने ऊपर लगे मुकदमे वापस लेने के लिए दबाब बनाने हेतु उन्हें झूठे रेप केस में फ़साने का षड्यंत रचा है जबकि घटना वाली रात एक भाई दिल्ली में था तो दूसरा फर्रुखाबाद में| अलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में अलीगढ के जिला जज और पुलिस अधीक्षक अलीगढ से भी रिपोर्ट तालाब की थी और दोनों ही रिपोर्ट में बलात्कार की घटना संदिग्ध बताई गयी थी|