लोहिया ग्राम निरीक्षण- डीएम ने चला दांव, अफसरों ने बमुश्किल संभाला, दो नपे

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DM NKS CHAUHANफर्रुखाबाद: जून माह में ही जिलाधिकारी ने जुलाई माह के अपने लोहिआ ग्रामो के भ्रमण कार्यक्रम जारी कर दिए थे| अफसरों और प्रधानो ने अपने अपने गावो में दौरों की पूर्व प्रस्तावित तारीखों के हिसाब से ही डीएम के निरीक्षण के लिए तैयारी शुरू की| मगर जिलाधिकारी ने अचानक अपने कार्यक्रम में फेरबदल कर लोहिया ग्रामो का औचक निरीक्षण कर दिया| हालाँकि एक दिन पूर्व सूचना मिलने के कारण गावो में अफसरों ने बहुत कुछ ढकने की कोशिश की मगर फिर भी पकडे गए| डीएम को 19 जुलाई को निरीक्षण करना था राजेपुर के किराचन गाव का मगर एक दिन पूर्व ही कार्यक्रम बदल कर शमसाबाद के खगऊ और बक्सुरी में छापा मार दिया| नतीजतन बिजली विभाग के एसडीओ मुख्यालय से अटैच कर दिए गए और बक्सुरी के पंचायत सचिव को प्रतिकूल प्रविष्टि मिल गयी| खगऊ के प्राइमरी विद्यालय में फर्जी उपस्थिति पकडे जाने पर हेड टीचर की क्लास लग गयी|

शुक्रवार देर रात खगऊ और बक्सुरी के प्रधानो को सूचना मिली कि डीएम शनिवार को गाव का निरीक्षण करेंगे| दोनों प्रधानो के हाथ पाँव फूल गए| पूर्व प्रस्तावित निरीक्षण 26 जुलाई को खगऊ में और 28 जुलाई को बक्सुरी में लगा था| 10 दिन पहले डीएम के निरीक्षण के कारण अफसरों के भी हालात बिगड़ गए| खगऊ में एक माह से ट्रांसफार्मर फुका पड़ा था| हैण्डपम्प रिबोर होने को था और स्कूल पहुचने के रास्ते में पानी भरा था|

कल तक स्कूल में किताबे नहीं पहुंची थी-
खगऊ के सरकारी स्कूल में किताबे नहीं पहुंची थी| एनपीआरसी रणवीर सिंह जिनके कंधो पर हर स्कूल में किताबे पहुचने की जिम्मेदारी थी वे अध्यापको को फोन करके किताबे ले जाने का फरमान दे रहे था| लिहाजा स्कूल में किताबे नहीं थी| जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने रात में सूचना मिलने पर अतिरिक्त स्टाफ को स्कूल संभालने को लगाया था| यानि की चिंता बच्चो की शिक्षा की नहीं डीएम साहब के थी कि वे कहीं नाराज न हो जाए| खगऊ के आसपास के स्कूलों में बेसिक शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर शिक्षको को भेज कर डीएम के आने से पहले किताबे मंगाई गयी और बच्चो को दी गयी| प्रधान ने सुबह सुबह ही स्कूल के रास्ते में मिटटी डलवाना शुरू किया तो ग्रामीण भड़क रहे थे| ग्रामीणो का कहना था कि रास्ता तो आम जनता और बच्चो के लिए पहले ही सही कराना था| डीएम साहब के लिए रास्ता सही करा रहे हो| फिर भी प्राथमिक की मैडम छात्रों कि उपस्थिति के मामले में पकड़ी ही गयी| डीएम लगभग एक बजे स्कूल में पहुंचे| तब तक छुट्टी हो चुकी थी| आमतौर पर सरकारी स्कूलों में उपस्थिति फर्जी या कम होने के कारण मैडम ने अनुपस्थित बच्चो को भी उपस्थित दिखा दिया| डीएम के सामने उपस्थिति के मामले में पीठ ठुकवाने का अच्छा मौका था| मगर चौबे जी बनने गए थे छब्बे, दुबे बनकर लौट आये| स्कूल की छुट्टी हो जाने के कारण डीएम साहब ने मैडम के रजिस्टर में बच्चो के नाम पढ़कर उन्हें गाव से बुलबा भेजा|
dm chauhan

अब जो होना था वही हुआ| शिक्षा विभाग के भगवत पटेल प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी ज्ञान प्रकाश अवस्थी और एनपीआरसी रणवीर सिंह की मौजूदगी में अध्यापको की जो पोल खुली तो गाव वालो के सामने पानी पानी हुए शिक्षा विभाग वाले| कुछ बच्चो ने कहा कि वे आज स्कूल गए ही नहीं| डीएम ने पूछा कि कुछ पढ़ाया जाता है? गाव वालो समेत बच्चो ने सिरे से नकार दिया| डीएम साहब ने जमकर क्लास लगायी| चलो डीएम के दौरे के कारण दूसरे स्कूलों से ही सही लोहिया ग्राम के बच्चो को दो दो किताबे तो नसीब हुई|

खगऊ में ग्रामीणो ने बताया कि एक माह से ट्रांसफार्मर ख़राब है बिजली नहीं आ रही है| यहाँ भी औचक निरीक्षणका पेच फस गया| बिजली विभाग के जेई और एसडीओ 29 जुलाई तक ट्रांसफर्मर बदलने की सोच रहे थे| इन्हे भी ग्रामीणो की नहीं डीएम साहब की चिंता थी| एक माह से ग्रामीण अँधेरे में थे, बिजली के बिल धकधक आ रहे थे| पहले जे-ई की क्लास लगी तो जेई इस बात से बच गए कि वे तो चार दिन पहले ही यहाँ तबादले पर आये है| एसडीओ जी आर गौतम साहब शिकंजे में फस गए| डीएम बोले तुम तो पुराने हो| तुम (एस डी ओ) काम के लायक नहीं हो| उन्हें अधिशासी अभियंता ग्रामीण के कार्यालय से संबद्ध करने के निर्देश कर दिए|


बक्सुरी में स्कूल के गेट की बॉउंड्री टूटी होने पर पंचायत सचिव को प्रतिकूल प्रविष्टि-

डीएम चौहान लगभग डेढ़ घंटे तक खगऊ में रहे| शौचालय दिखवाये और अन्य समस्याएं ग्रामीणो से पूछी| लोहिया ग्राम के दर्जनो अधिकारियो को लगाकर दुरुस्ती करायी जा रही है| इसके बाद डीएम का काफिला बक्सुरी गाव की ओर बढ़ा| गाव में घुसते ही सबसे पहले जूनियर स्कूल की टूटी बॉउंड्रीबाल पर प्रधानजी को लताड़ लगी| प्रधान जी बोले साहब हमें तो पता था कि आप 29 जुलाई को आओगे तब तक सही करा देते| आप तो अचानक आ गए| डीएम साहब को जो पकड़ना था उसमे कुछ न कुछ तो मिल ही रहा था| यूपी के गाव है| पूरी व्यवस्था ही नाकारा और चरमराई हुई है| फिर डीएम ने आगे का रुख किया| कोटेदार ने सब संभाल रखा था| गाव वालो ने कोटेदार की कोई शिकायत नहीं की| आश्चर्य करने वाली बात नहीं| गाव में 100 मरे हुए लोगो का भी राशन हर माह आता है| कोटेदार उन्हें भी बात देता है| उसका कोटा हर माह निल हो जाता है| मुनाफे भर को स्वर्ग गए लोग इंतजाम कर रहे है| 2004 में जब से राशन कार्ड बने है तब से आज तक मरे हुए लोगो का नाम राशन कार्ड विभाग ने नहीं काटा है| गाव से ब्याह कर गाव के बाहर गयी लडकिया आज भी कोटेदार के खातों में राशन ले रही है| अंधेर नगरी है| कमोबेश यही स्थिति पूरे जनपद की क्या पूरे यूपी की है| यहाँ डीएम ने स्कूल की टूटी बॉउंड्री पर पंचायत सचिव को प्रतिकूल प्रविष्टि देकर दौरे का समापन कर लिया|
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