नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नवनियुक्त केंद्र सरकार ने कामकाज संभालने के साथ ही मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने की प्रक्रिया पर काम शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राच्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने आज ऐसा कहने के साथ ही स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया के जरिए जो असहमत हैं उन्हें समझाने का प्रयास किया जाएगा। सरकार की इस कवायद पर तत्काल ही राजनीतिक प्रतिक्रिया भी आने लगी है। जम्मू-कश्मीर की प्रमुख पार्टी पीडीपी ने सरकार से सफाई मांगी है कि पीएमओ के राज्यमंत्री के बयान पर वह अपने दृष्टिकोण स्पष्ट करे।
वहीं सरकार के इस दृष्टिकोण से खफा जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि यदि सरकार धारा 370 के साथ छेड़छाड़ करती है तो या तो जम्मू कश्मीर भारत का अंग ही नहीं रहेगा या फिर राज्य में अनुच्छेद 370 कायम रहेगा। उन्होंने कहा कि इसकी बदौलत ही जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा है। अपने ट्वीट में उमर ने कहा है कि इस ट्वीट को लोग संभालकर रखें।
पहली बार मंत्री बने 57 वर्षीय डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सभी संबंधित पक्षों से बातचीत शुरू हो गई है और हम ऐसे लोगों को विश्वस्त करने की कोशिश करेंगे, जो अब तक इसके लिए तैयार नहीं हैं। नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान दिसंबर में एक रैली में जो बात कही थी, उसी को दोहराते हुए डॉ. सिंह ने कहा, उनकी और सरकार की मंशा और यह है कि इस मुद्दे पर हम बहस कराएं ताकि हम उन लोगों को धारा 370 के नुकसान के बारे में विश्वस्त कर सकें जो अभी तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर बहस ही नहीं होगी तो जो लोग समझने को तैयार नहीं हैं, उन्हें कैसे बताया जाएगा कि धारा 370 की वजह से उन्हें क्या कुछ नुकसान हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार हर पक्ष के साथ विचार-विमर्श के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने जम्मू कश्मीर की छह में से आधी सीटें जीती हैं और इस लिहाज से वहां के 50 फीसद वोटर हमारे साथ हैं।
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