विधानसभा चुनाव साथ होते, तो सपा को मिलतीं 42 सीटें

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Mulayam Singhडेस्क: दो साल पहले विधानसभा चुनाव में 224 सीटें लेकर पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने वाली समाजवादी पार्टी इस बार के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह फेल हो गई. इस चुनाव में वह मात्र 42 विधानसभा क्षेत्रों में ही बेहतर प्रदर्शन कर पाई. अगर लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव भी होते, तो सपा महज 42 सीटों पर सिमट जाती|

सपा के कई दिग्गज मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी को कोई खास वोट नहीं दिला पाए| यूपी की 80 लोकसभा सीटें 403 विधानसभा क्षेत्रों से मिलकर बनी हैं| विधानसभावार देखें, तो नतीजे चौंकाते हैं| बीजेपी को 328 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली. प्रदेश के बड़े-बड़े मंत्री अपने ही विधानसभा क्षेत्रों में सपा को वोट दिलाने में नाकाम रहे हैं| प्रदेश के एक दर्जन से अधिक मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में सपा मुख्य मुकाबले से बाहर रही है|

बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी सलेमपुर की बांसडीह सीट से विधायक हैं, लेकिन अपने क्षेत्र में ही सपा के प्रत्याशी 43,765 वोटों से पीछे हो गए. खेलकूद व युवा कल्याण मंत्री नारद राय बलिया से विधायक हैं. उनके क्षेत्र में भी 54,615 वोटों से सपा पीछे रही. मनोरंजन कर राज्यमंत्री तेज नारायण उर्फ पवन पांडेय के विधानसभा क्षेत्र अयोध्या में सपा 88,884 मतों से बुरी तरह पराजित हुई. लघु उद्योग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भगवत शरण गंगवार बरेली के नवाबगंज से विधायक हैं. इनके यहां भी सपा बुरी तरह पराजित हुई है|

स्वास्थ्य राज्यमंत्री शंखलाल मांझी भी अंबेडकरनगर के कटेहरी में सपा प्रत्याशी को जिता नहीं सके. ग्राम्य विकास राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार अरविंद कुमार सिंह गोप बाराबंकी रामनगर क्षेत्र से विधायक हैं, लेकिन इस चुनाव में इनके खुद के विधानसभा क्षेत्र से ही सपा मुख्य लड़ाई से बाहर थी|

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