होली पर डॉक्टर की सलाह: कैमिकल वाले रंगों से फट सकता कान का परदा

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Doctor manoj Ratmeleफर्रुखाबाद : होली आते ही बाजारों में रंगों की दुकाने सज गयी है| लाल,पीले,हरे ,नीले,गुलाबी आदि विभिन्य प्रकार के रंगों ने लोगो के दिमाग में अभी से ही होली पर जमकर रंग खेलने की तरंग पैदा कर दी है | लेकिन क्या आप को पता है की यह रंग आप के लिये कितना घातक हो सकता है की आप से सुनने की शक्ति तक जा सकती है| रगों का प्रयोग इस प्रकार से करे की आप के कानो को कोई नुकसान ना पहुचे| डाक्टर कैमिकल रहित सूखे रंगों को इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे है |

दरअसल बाजारों में इस समय जो रंग बिरंगे रंगो की दुकाने लगी है जादातर सभी रगों में केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है| होली पर हम इन रगों का प्रयोग भी करने बाले है, लेकिन इनका प्रयोग बड़ी साबधानी के साथ करना है| डाक्टरों का मनना है की अगर अधिक मात्र में यह कैमिकल युक्त रंग कान में चला गया तो व्यक्ति बहरे पन का शिकार हो सकता है| लोहिया अस्पताल के नाक कान गला रोग विशेषज्ञ मनोज रतमेले ने बताया की गुब्बारे में भरकर रंग खेलना कानो के लिये बहुत ही जादा हानिकारक हो सकता है | इससे कान के परदे पर भी गहरा असर पड़ सकता है | और व्यक्ति ऊचा सुनने की बीमारी का शिकार हो सकता है |

श्री रतमेले ने बताया की इससे बचने के लिये सूखे रगों का इस्तेमाल करे और जहा तक हो कान को को एन रंगों से बचाए| कीचड़ ,गोवर का प्रयोग बिलकुल भी ना करे तथा पिचकारी कान में ना मारे| कोई समस्या होने पर स्थानीय डाक्टर से राय अवश्य ले |

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