यूपी में मोदी की रैलियों पर सपा की नजरें टेढ़ी

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modiमोदी की रैलियों को सपा की सरकार अनुमति देगी या नहीं, अभी यह साफ नहीं है। पर, भाजपा को चर्चा मिलती जा रही है। भाजपा, मोदी की तीन रैलियों के अलावा अन्य की तारीखें अभी भले ही तय नहीं कर पाई हो लेकिन समाजवादी पार्टी ने रैलियों को लेकर सख्ती का ऐलान कर दिया है।

संयोग यह भी कि मोदी की रैलियों की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए भाजपा मंगलवार को दिल्ली में बैठक बुलाती है और इसी दिन सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी यह बयान देते हैं कि माहौल खराब करने वालों को रैलियों के नाम पर सांप्रदायकिता फैलाने की छूट नहीं दी जाएगी।

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बात आसानी से समझने वाली है कि मोदी के नाम पर सपा और भाजपा चुनावी अखाड़े को सजाने में जुट गए हैं। चौधरी ने कहा कि प्रदेश में लोकतंत्र है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि किसी को माहौल बिगाड़ने की अनुमति दे दी जाए। रैलियों के बारे में सपा सरकार पहले बारीकी से यह देखेगी कि इनका मकसद क्या है? प्रशासन से पूरी स्थिति की बारीकी से समीक्षा कराई जाएगी। उसके बाद मोदी की रैलियों को अनुमति देने या न देने का फैसला किया जाएगा। भाजपा ने भी चौधरी की बात का जवाब देने में देर नहीं लगाई।

भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने सपा के बुधवार से शुरू हो रहे सद्भावना एकता सप्ताह और सूबे में लोकतंत्र होने के दावे को पाखंड बताया। कहा कि यह ‘नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली’ वाली कहावत साबित हो रही है। आरोप लगाया कि सपा सरकार के वरिष्ठ मंत्री मो. आजम खां की मुजफ्फरनगर दंगों में भूमिका का सच सामने आने के बाद सद्भाव व एकता की बात बेईमानी है। उसी तरह एक वर्ग को खुश करने के लिए परिक्रमा पर रोक व एकतरफा कार्रवाई करने वालों के मुंह से लोकतंत्र की दुहाई शोभा नहीं देती।

दोनों को लाभ
वरुण गांधी की 15 सितंबर को आगरा के फतेहपुरसीकरी में प्रस्तावित स्वाभिमान रैली की अनुमति को रद्द कराकर तथा मंगलवार को भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रमों पर रोक लगाकर सपा सरकार ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि वह भाजपा की रैलियों को आसानी से अनुमति नहीं देने वाली।

राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि भाजपा के रणनीतिकार इस बात से अन्जान नहीं हैं। पर, भाजपा को दोनों ही तरह से प्रचार मिलना है। रैली की अनुमति मिल जाएगी तो मोदी व भाजपा का प्रचार और नहीं मिली तो भी मोदी का प्रचार।

आगरा रैली की अनुमति रद्द होने के बाद इसकी बानगी मिल भी चुकी है। वरुण की इस रैली के होने से जितना प्रचार होता, उतना ही प्रचार रैली की अनुमति रद्द होने पर मिल गया।

दरअसल, भाजपा या संघ परिवार के कार्यक्रमों पर रोक व अनुमति दोनों का ही इन पार्टियों को लाभ होता है। ऐसा ही मोदी की प्रस्तावित रैलियों को लेकर दिख रहा है।

सपा को लग रहा है कि रैलियों पर रोक लगाकर एक बार वह फिर मुसलमानों को यह संदेश देने की कोशिश कर सकती है कि उसने उनके (मुसलमानों) लिए इतना बड़ा फैसला लिया है।

मोदी की कानपुर रैली की तारीख पर पुनर्विचार
कानपुर में 15 अक्टूबर को प्रस्तावित नरेन्द्र मोदी की रैली की तारीख में फेरबदल हो सकता है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने इस बात के संकेत दिए हैं।

इनके अनुसार, मंगलवार को रैलियों के बारे में विचार-विमर्श को दशहरा व नवरात्र के चलते कानपुर की रैली को 15 के बजाय 19 या 20 अक्टूबर को करने का फैसला किया गया है।