अनैतिक देह व्यापार में संलिप्त महिला सिपाही बर्खास्त

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UP POLICE BHARTI JOBलखनऊ। पुलिस विभाग की छवि को बुधवार को गहरा आघात लगा। हत्या, लूट, छेड़छाड़ व अन्य संगीन आरोपों में पुलिसकर्मियों के खिलाफ हुई कार्रवाई की फेहरिश्त में एक महिला पुलिसकर्मी का भी नाम जुड़ गया। कानपुर में वर्ष 2011 में अनैतिक देहव्यापार के मामले में संलिप्तता सामने आने पर गिरफ्तार कर जेल भेजी गई महिला सिपाही उषा तोमर को विभागीय जांच के बाद एसएसपी जे रवींद्र गौड ने पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया है। आरोपी महिला वर्ष 1980 में पुलिस विभाग में आरक्षी के पद पर भर्ती हुई थी।
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एसएसपी जे रवींद्र गौड के मुताबिक कानपुर के फजलगंज थाने की पुलिस ने 10 अप्रैल 2011 में एक सेक्स रैकेट का राजफाश किया था। तब कानपुर पुलिस ने जमील अहमद व चार युवतियों को पकड़ा था। सेक्स रैकेट के संचालन में संलिप्तता पाए जाने पर कानपुर पुलिस ने 11 अप्रैल 2011 को लखनऊ में तैनात महिला सिपाही उषा सिंह तोमर व उसके पति रामप्रकाश सिंह तोमर को भी गिरफ्तार किया था। बताया गया कि महिला सिपाही उषा तोमर के चकेरी, कानपुर नगर स्थित आवास से ही सेक्स रैकेट का संचालन किया जा रहा था। फजलगंज थाने में आरोपितों के खिलाफ 3/4/5/6/8 अनैतिक देहव्यापार निवारण अधिनियम, गैंगेस्टर एक्ट सहित अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। आरोप है कि उषा ने उसकी गिरफ्तारी व जेल जाने की सूचना को लखनऊ पुलिस के अधिकारियों से छिपाए रखा था। बाद में मामला प्रकाश में आने पर उषा को निलंबित कर दिया गया था। आरोपी उषा तोमर 11 अप्रैल 2011 से पुलिस लाइंस से लगातार अनुपस्थिति चल रही थी। इस मामले की विभागीय जांच में उषा पर लगे आरोपों की पुष्टि होने पर एसएसपी ने बुधवार को उसे बर्खास्त कर दिया। एसएसपी के मुताबिक उषा पर बेहद गंभीर आरोप थे। लिहाजा जांच के बाद उसके खिलाफ आचरण नियमावली के तहत यह कार्रवाई की गई। जांच के दौरान आरोपी उषा तोमर को भी नोटिस देकर उसे अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक जांच के दौरान निलंबन से बहाल होने पर उषा पूर्वी क्षेत्र के एक थाने में भी तैनात रही थी। उषा के कई सफेदपोशों से भी गहरे संबंध थे। वर्ष 2011 में कानपुर देहात से लखनऊ के लिए तबादला होने पर उसने उषा ने यहां आकर पुलिस लाइंस में अपनी आमद भी नहीं कराई थी और इसी बीच उसे कानपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। बताया गया कि उषा का इससे पूर्व एक हत्या के मामले में भी नाम सामने आया था। तब वह वर्ष 1994 से 1997 के मध्य भी निलंबित रही थी। इसके अलावा दो अन्य बार भी उषा का संगीन आरोपों में निलंबन हुआ था।