लखनऊ: अगर किसी सरकारी कर्मचारी की उसके बॉस से सेटिंग है और सो सोचता है कि विजिलेंस जांच में उसका कुछ भी नहीं होगा तो यह उसकी गलतफहमी है। अब ऐसा नहीं होने वाला।
भ्रष्टाचार, घूसखोरी, दुराचरण व कदाचार से जुड़े मामलों की सतर्कता जांच को प्रशासकीय विभाग लटकाए नहीं रख सकेंगे। सरकार ने सतर्कता जांच से जुड़ी गोपनीय पत्रावलियों को प्रशासकीय विभागों के प्रमुखों को भेजने पर रोक लगा दी है। मंत्रियों से स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि सतर्कता जांच से संबंधित पत्रावलियां विभागीय अफसरों को न भेजा जाए। फाइलों को अनुमोदन के बाद ‘सील्ड कवर’ में सीधे सतर्कता सचिव को ही वापस किया जाए। विभागीय अफसरों को भी यह निर्देश दिए गए हैं कि वे जांच अधिकारियों को जांच संबंधी दस्तावेज तत्काल मुहैया कराएं।
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सूबे में लोक सेवकों (राज्य सरकार के विभागों में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारी) से संबंधित भ्रष्टाचार, घूसखोरी, दुराचरण व कदाचार के मामलों की जांच के लिए 48 वर्ष पहले उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान बनाया गया था। सतर्कता अधिष्ठान की अहम जांचों पर निर्णय के लिए सतर्कता विभाग को संबंधित विभागीय मंत्री के अनुमोदन की जरूरत होती है, इसलिए विभाग मंत्रियों को फाइलें तो भेजता है लेकिन ज्यादातर सतर्कता विभाग को वापस नहीं मिलती। मंत्रियों से फाइलें प्रशासकीय विभागों के अधिकारियों व अनुभागों में पहुंच रही हैं। प्रशासकीय विभाग द्वारा सतर्कता विभाग के समानान्तर सतर्कता अधिष्ठान की जांचों का परीक्षण शुरू करने के मामले को लटकाए रखा जा रहा है। गौरतलब है कि सतर्कता अधिनियम के तहत सतर्कता जांच रिपोर्ट का परीक्षण सिर्फ सतर्कता विभाग ही कर सकता है। इसी तरह तमाम सतर्कता जांचें मात्र इसलिए लटकी हैं क्योंकि प्रशासकीय विभाग द्वारा जांच से जुड़े दस्तावेज ही नहीं उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री के इस स्थिति को गंभीरता से लेने पर मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने विभागों के प्रमुख सचिव/सचिव व मंत्रियों के निजी सचिवों को पत्र लिखा हैं। कहा गया है मंत्रियों के अनुमोदन के बाद उनके निजी सचिव संबंधित पत्रावली ‘सील्ड कवर’ में अब सीधे सतर्कता सचिव को वापस भेजें। यदि मंत्री ऐसा कोई आदेश देते हैं जिसका अनुपालन विभागीय सचिव को करना हो तब भी पत्रावली उन्हें न भेजने की हिदायत देते हुए अलग से आदेश भेजने को कहा गया है।
सतर्कता विभाग में होगा अलग रजिस्टर
मंत्रियों को भेजी जाने वाली फाइलें इधर-उधर न हो सकें इसके लिए मुख्य सचिव ने सतर्कता विभाग को ऐसी पत्रावलियों के रख-रखाव के लिए अलग से रजिस्टर बनाने के निर्देश दिए हैं। कहा गया है कि रजिस्टर में स्पष्ट तौर पर दर्ज हो कि सतर्कता विभाग की पत्रावली किस तिथि में मंत्री के कार्यालय को प्राप्त कराई गई और अनुमोदन के बाद पत्रावली कब वापस सतर्कता विभाग को मिली।
जांच से जुड़े अभिलेख उपलब्ध कराने के निर्देश
ज्यादातर सतर्कता जांचों के लंबित रहने के पीछे मुख्य सचिव का मानना है कि प्रशासकीय विभाग जांच से जुड़े अभिलेख ही अनुसंधानकर्ता (जांच) अधिकारी को उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। ऐसे में मुख्य सचिव ने सतर्कता कानून का हवाला देते हुए प्रमुख सचिव/सचिवों से कहा है कि सतर्कता जांचों को समय से पूरा करने के लिए जांच से जुड़े अभिलेख तत्काल जांच अधिकारी को मुहैया कराए जाएं।
प्रशासकीय विभागों से वापस मांगी गई पत्रावलियां
प्रमुख सचिव सतर्कता आरएम श्रीवास्तव ने प्रशासकीय विभागों के प्रमुखों से कहा है कि सतर्कता जांच की जो भी फाइलें उनके कार्यालय में हों उन्हें वे अपने अनुभागों में न भेज कर तत्काल सतर्कता विभाग को उपलब्ध कराएं।