सरकार की नहीं सुन रहा रुपया, अब क्‍या करेंगे सरदार?

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manmohan singhशेयर बाजार में हाहाकार, गिरता रुपया और सोने की बढ़ती कीमतों ने यूपीए सरकार के सामने मुश्किलों का पहाड़ खड़ा कर दिया है।
सरकार के सिपहसलारों को यह नहीं सूझ रहा है कि इस परिस्थिति से कैसे जूझा जाए। हालांकि अब भी कुछ ऐसे विकल्प हैं जिससे इन हालातों से काफी हद तक निजात मिल सकती है।
घरेलू सोने का मौद्रीकरण
लॉकरों में बेकार पड़े सोने को बाजार में लाकर सरकार इसके आयात पर खर्च होने वाले डॉलर बचा सकती है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने घरेलू सोने के मौद्रीकरण (मोनेटाइजेशन) का सुझाव दिया है। लेकिन ज्यादातर सोना रिजर्व बैंक के बजाय पब्लिक के पास है। इसे बाजार में लाने की कोई कारगर योजना नहीं है।
सरकार की ओर से सोने को गिरवी रख रुपए की साख बचाने के कयास भी लगाए जा रहे हैं। मंदिरों, ट्रस्टों और लॉकरों में करीब 31 हजार टन सोना जमा है, जिसकी जानकारी सरकार के पास है। सोने पर आनंद शर्मा के बयान ने खलबली मचा दी है।
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रुपए में आयात-निर्यात
महंगे डॉलर की मार से बचने के लिए सरकार कुछ देशों के साथ करेंसी स्वैप कर स्थानीय मुद्राओं में आयात-निर्यात को बढ़ावा दे सकती है। जापान और भूटान के साथ इस तरह की पहल हो चुकी है।
चीन भी डॉलर के बजाय अपनी मुद्रा में कारोबार का इच्छुक है। विदेश व्यापार के विशेषज्ञ अजय सहाय का कहना है कि करेंसी स्वैप से चालू खाते के घाटे को बढ़ने से रोका जा सकता है।
आईएमएफ से कर्ज
राजकोषीय और चालू खाते के घाटे से दबी सरकार डॉलर की कमी दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कर्ज ले सकती है। अभी देश के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 7-8 महीने के आयात लायक डॉलर जमा है।
अर्थशास्त्री डीएच पाई पुलंदीकर का मानना है कि आईएमएफ से 50 अरब डॉलर का कर्ज लेकर सरकार रुपए को संभाल सकती है। वर्ष 1991 के संकट में भी भारत ने आईएमएफ से 5 अरब डॉलर का कर्ज लिया था।
एनआरआई से डॉलर जुटाए
सरकार ज्यादा ब्याज का ऑफर देकर एनआरआई और विदेशी निवेशकों से डॉलर जुटा सकती है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों को भांपते हुए विदेशी निवेशक भारत से निवेश निकाल रहे हैं।
अमेरिकी बाजारों और डॉलर में सुधार की वजह से वहां निवेशकों को अच्छे रिटर्न की आस है, इसलिए वह उभरती अर्थव्यवस्थाओं से धन निकाल रहे हैं। सरकार को एनआरआई व सॉवरेन बॉन्ड जैसे विकल्पों को आजमाना चाहिए।

लौह अयस्क व कोयले पर पाबंदियां हटें

रुपए की कमजोरी अर्थव्यवस्था की सुस्ती से जुड़ी है। सरकार लौह अयस्क के निर्यात का रास्ता खोलकर व्यापार घाटा कम कर सकती है। इसी तरह कोयले के खनन पर लगी पाबंदियां हटाकर इसके आयात को घटाया जा सकता है। अटकी परियोजनाओं की बाधाएं दूर कर आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ाई जा सकती है।