बाढ़ राहत से अफसरों की जेबें लबालब: शिविरों में आटा रोज़, तेल-मसाला कभी-कभी

Uncategorized

FARRUKHABAD :गंगा और रामगंगा के बाढ़ पीड़ितों के लिये प्रशासन की ओर से तहसील कार्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित रहमानी स्कूल में बने बाढ़ राहत शिविर को देख कर मशहूर कवि नीरज गोस्वामी की पंक्तियां याद आ गयीं- ‘इस सदी में तेरे होठों पे तबस्सुम की लकीर, हंसने वाले तेरा पत्थर का कलेजा होगा’। अफसोस इन पर आयी आपदा का तो है ही, वहीं इनके नाम पर शासन से मिलने वाली बाढ़ राहत धनराशि में भी जिम्मेदार अधिकारी जिस प्रकार की धांधली कर रहे हैं, उसको देख कर तो घिन ही आ सकती है, इनके जमीर पर।
बाढ़ में अपना सबकुछ लुटा कर आये लगभग आधा सैकड़ा बाढ़ पीड़ित परिवार यहां पर पनाह लिये हुए हैं। जनपद में बाढ़ पीडि़तों की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं। प्रशासन द्वारा बाढ़ पीडि़तों के लिए बनाये गये शिविरों पर भी बाढ़ पीडि़तों को मात्र जीने भर को राशन दिया जा रहा है। वह भी तेल, मसाला, लकड़ीए, बिछाने-ओढ़ने का सामान इत्यादि देना प्रशासन मुनासिब नहीं समझता। जिससे बाढ़ राहत शिविरों पर भी बाढ़ पीडि़तों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

badh peeditबाढ़ राहत शिविरों पर रह रहे लोगों के अनुसार उन्हें प्रति दिन पांच किलोग्राम का एक पैकिट आटा दिया जाता है। जिसके अलावा और कोई भी वस्तु उन्हें राहत के नाम पर मुहैया नहीं करायी जा रही है। बाढ़ राहत शिविरों पर आकर उन लोगों ने गलती की है।
[bannergarden id=”8″]

जबकि तहसीलदार सदर राजेंद्र चौधरी के अनुसार बाढ़ पीड़ितों को प्रति परिवार की दर से 5 किलो आटा, 2 किलो चावल, 2 किलो आलू व तेल मसाला आदि अलग से प्रतिदिन दिया जा रहा है। जाहिर है कि इसी दर से सरकारी अभिलेखों में धन भी अंकित किया जा रहा होगा। सवाल यह है कि जब जिला मुख्यालय पर स्थित एक मात्र बाढ़ राहत शिविर का यह हाल है तो दूर दराज के क्षेत्रों में कैसी लूट मची होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। बाढ़ राहत केंद्र में पीड़ितों की दास्तां सुन कर यही मन में आया कि …….तेरा पत्थर का कलेजा होगा, मुसीबत के मारों के राशन पर भी डाका डाल बैठा।
तहसीलदार राजेंद्र चौधरी की आवाज़ सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें —

[bannergarden id=”8″]

lakadiyaवहीं मंगलवार को गंगा का जल स्तर पांच सेन्टीमीटर घटकर 137.05 मीटर पर पहुंच गया। जिससे जल स्तर में कुछ कमी होने की उम्मीदें ग्रामीणों में जगी है। लेकिन गंगा में नरौरा बांध से 148726 क्यूसेक पानी छोड़े जाने से जलस्तर में कोई खास कमी होने की उम्मीद नहीं है। लेकिन रामगंगा के जल स्तर में अभी भी बढ़ोत्तरी हो रही है। रामगंगा का जल स्तर 136.40 से बढ़कर मंगलवार को 136.45 मीटर पर पहुंच गया है। रामगंगा में 7951 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे जल स्तर में कोई कमी होने की संभावना नहीं है। फिलहाल अभी ग्रामीणों को बाढ़ से राहत मिलती दिखायी नहीं दे रही है।

badh peedit1वहीं प्रशासन  की तरफ से बाढ़ पीडि़तों की लगातार अनदेखी की जा रही है। ग्रामीणों को पानी में ही शौच से लेकर अन्य जरूरत के कामों के लिए जाते जाते पैर सड़ चुके हैं व अन्य कई बीमारियों के शिकार हो चुके हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीमें पानी में तो दूर किनारे के गांवों तक में दवाई वितरित करने नहीं पहुंची। पशुओं के चारे की ग्रामीणों के पास समस्या बनी हुई है। भूखे पशु गंगा की बाढ़ में घास फूस व पतेल इत्यादि में छोड़ दिये जाते हैं जो शाम तक चरकर किसी तरह अपना पेट भर रहे हैं। वहीं लगभग दो माह बीतने को आये हैं और बाढ़ से घिरे गांवों में स्कूल पानी से घिरे हैं। बच्चों की पढ़ाई के नाम पर कभी अ ब स भी नहीं पढ़ाया गया है। जिससे मासूमों का भविष्य भी चैपट दिखायी दे रहा है। जिसके लिए प्रशासन द्वारा कोई उपाय नहीं किया गया। यदि इसी तरह प्रति वर्ष बाढ़ का शिकार जनपद के ग्रामीण होते रहे तो जनपद पिछड़े जिलों में शामिल होना तय है, जिसका जिम्मेदार भी प्रशासन ही होगा।

[bannergarden id=”11″]

badh peedit2रहमानी स्कूल में बनाये गये बाढ़ पीडि़तों के शिविर में रुके नसीम ने बताया कि उनके परिवार में 10 लोग हैं, जिनके लिए प्रति दिन पांच किलो आटा दिया जाता है। पांच दिनों में मात्र एक बार आधा किलो तेल दिया गया। लकड़ी इत्यादि की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है।
राधा ने बताया कि उनके परिवार में आठ लोग शामिल हैं, जिनको पांच किलो आटा, आधा किलो तेल पांच दिन में, दो किलो आलू दिये गये। इसी तरह जेबरी, रेशमा, मेहंदी हसन, जाकिर आदि आधा सैकड़ा लोगों ने अपनी पीड़ा का इजहार किया।