पंचायत चुनाव में कुर्सी की रेस को हर कोई जीतना चाहता है, भले ही यह किसी की जिंदगी की कीमत पर क्यों न हो। जिंदगी को लील रही लाल परी और कच्ची शराब न जाने कितने नाम हैं इसके जिसे बांटने से पंचायत चुनाव में खड़े प्रत्याशियों को कोई गुरेज नहीं है और न ही पीने वाले ग्रामीण इससे सबक ले रहे हैं। ‘कच्ची’ की बलि चढ़ रहे लोगों को बचाने के लिए शासन-प्रशासन की मुस्तैदी को चकमा देकर प्रत्याशी नये हथकंडे अपना रहे हैं। तू डाल-डाल तो मैं पात-पात की तर्ज पर जहां कच्ची शराब नहीं मिल पा रही है वहां अब इसके विकल्प के रूप में प्रत्याशी मतदाताओं को लुभाने के लिए इथनॉल व मिथनॉल स्प्रिट की व्यवस्था अवैध तरीके से शराब के कारखानों से कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार एक लीटर इथनॉल में कितना पानी मिलाकर पीने लायक शराब बनायी जाए यह ज्ञान प्रत्याशियों एवं उनके समर्थकों को नहीं है। इस वजह से थोड़ा बहुत पानी मिलाकर ही इसे मतदाताओं को पिला दिया जा रहा है। कहीं- कहीं मिथनॉल (मिथाइल स्प्रिट) भी प्रत्याशियों ने गैलनों में मंगा लिया है। इसमें थोड़ा बहुत पानी मिलाकर मतदाताओं को पिलाने की व्यवस्था कर ली गयी है। पियक्कड़ मतदाता जल्द असर करने वाली शराब के चक्कर में इसे अपना रहे हैं। इस वजह से उनकी अतडि़यों के जलने और आंखें खराब होने तथा अंतत: मौत का शिकार होने का खतरा बना हुआ है।