जिंदगी भर जिनको चाहा देवताओं की तरह उनकी नजर में रहे हम वेवफाओं की तरह

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FARRUKHABAD मानस विचार समिति की 25 बीं रजत जयंती के उपलक्ष्य में प्रथम कड़ी के रूप में गोस्वामी तुलसीदास को समर्पित एक आध्यात्मिक कवि गोष्ठी में कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से भगबान श्रीराम को निवेदित किया। समिति के संयोजक डॉ0 रामबाबू पाठक नें धर्म, अध्यात्म व साहित्य को एक दूसरे का पूरक बताते हुये गोस्वामी तुलसीदास को शायरे आजम बताया।

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kaviदिनेश अवस्थी नें आध्यात्मिक रचना से शुरूआत की, बक्त अब भी है थोड़ा संभल जाइये, सच्चे जीवन के ढांचे में ढल जाईये। बीके सिंह नें रचना पढ़ी, गीत सवरी को मुक्ति भक्ति दान देने हेतु नंगे पांव आये को राम हैं। डॉ0 कृष्ण कान्त अक्षर नें रचना पढ़ी, द्रौपदी को नग्न करने की कल्पना भी नहीं द्रौपदी पीताम्बरा है द्रौपदी कृष्णाम्बरा है। डॉ0 रामआसरे नें राम नाम की रचना पढ़ी हनुमान के ह्दय में राम नाम अमर है श्रद्धा से लिया जाप बहीं नाम अमर हैं। सुश्री गरिमा पाण्डेय नें मुक्तक पढ़ा, है गजल राधिका गीत गोविन्द है भाव और लेखनी के ये अनुबन्ध हैं।

उपकार मणि ने रचना पढ़ी गरीबी में भी उनकी शान में अन्तर नहीं कोई सुदामा और हिन्दुस्तान में अंतर नहीं कोई। नरेन्द्र श्रीवास्तव नें रचना पढ़ी, जिंदगी भीर जिनकों चाहा देवताओं की तरह उनकी नजर में रहे हम वेवफाओं की तरह। इसके अतिरिक्त भारती मिश्रा, रामशंकर अबोध, रामअबतार शर्मा इन्दू, अनिल मिश्रा नें भी अपनी रचना पढ़ी। रमेश चन्द्र त्रिपाठी नें अपने विचार व्यक्त किये। गोष्ठी की अध्यक्षता रामआसरे दीक्षित निराला राही तथा संचालन संयोजक उपकार मणि उपकार नें किया।

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इस मौके पर अरूण प्रकाश तिवारी ददुआ, अशोक रस्तोगी, प्रो0 श्याम निर्मोही, सत्यनरायन मिश्रा, दीपक रंजन सक्सेना, अरविंद दीक्षित, अलका पाण्डेय, मधू गौड़, रेखा, मोहनलाल गौड़, अजीत व सुजीत पाठक, सहित कई दर्जन लोग मौजूद रहे। मानस सम्मेलन के संयोजक डॉ0 रामबाबू पाठक नें बताया कि 25 बां मानस सम्मेलन 21 से 25 सितम्बर तक होगा। लगभग आधा दर्जन मानस विद्वानों के आने की मंजूरी प्राप्त हो गयी है। कुल 11 मानस विद्वान इसमें भाग लेंगे।