क्‍या अखिलेश का एजेंडा है मुलायम से जुदा? 2014 के बजाय 2017 पर दिखी नजर

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फर्रुखाबाद: शनिवार को यहां लैपटॉप वितरण कार्यक्रम में भाग लेने आये मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ऐजेंडा सपा मुखिया मुलायम सिंह से जुदा नजर आया। जहां सपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिये ‘मिशन 2014’ का अपना ऐजेंडा बना रखा हैं, वहीं अपने भाषण में अखिलेश यादव ने एक भी बार लोकसभा चुनाव का जिक्र नहीं किया। हद तो यह है कि मंच पर मौजूद सचिन यादव तक का परिचय सपा से घोषित प्रत्याशी के तौर पर कराना उचित नहीं समझा। पूरे समय पूर्व प्रदेश सरकार की मुखिया मायवती को निशाने पर रखा, और अपने घोषणापत्र की सभी योजनाओं को आगामी पांच वर्षों में पूरा करने का वादा किया।

आगामी लोकसभा चुनाव सर पर है। विभिन्ना विपक्षी दल विशेष रूप से भाजपा नरेंद्र मोदी और उनके विश्वानसपत्रों को उत्तर प्रदेश में स्थापित करने के अपने प्लान को मूर्ति रूप देती दिख रही है। प्रदेश में सरकार बनाने के बाद से ही सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव देश का प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पाले बैठे हैं। उन्होंनने बाकायदा मिशन 2014 छेड़ रखा है। परंतु मुख्य मंत्री बनने के बाद पहली बार जनपद दौरे पर आये अखिलेश यादव का ऐजेंडा अपने पिता से जुदा नजर आया। यहां छात्रों को लैपटॉप वितरण समारोह में भाग लेने आये अखिलेश यादव ने मंच से अपने भाषण या मीडिया से वर्ता के दौरान एक बार भी लोकसभा चुनाव का जिक्र नहीं किया। हद तो यह है मंच मौजूद सचिन यादव को आगमी चुनाव में जिताने की अपील कराना तो दूर, उनका परिचय तक लोकसभा प्रत्यामशी के तौर पर नहीं कराया।
अपने भाषण के दौरान मुख्य मंत्री ने राष्ट्रीय राजनीति की बात करने के बजाये, प्रदेश की पूर्व मुख्य मंत्री मायावती और उनके मंत्रियों पर ही निशाना साधा। प्रदेश के विकास की अपनी योजनाओं को आगामी पांच वर्षों में पूर्ण कर लेने का भरोसा दिलाया। सबसे ज्यादा जोर उन्होंकने विद्युत संकट पर दिया, और उसको दूर करने के लिये व्यवस्थायगत सुधार के साथ ही उत्पादन बढ़ाने की अपनी योजना का भी खुलासा किया। अपने लैपटॉप वितरण को नयी युवा पीढी को तकनीक से जोड़ने का अभियान बताते हुए उन लोगों का मजाक उड़ाया जो कभी लैपटॉप वितरण के वादे को सपा का चुनावी झुनझुना बताया करते थे।

सवाल यह उठता है कि क्य सचमुच अखिलेश के लिये मिशन 2014 से ज्यादा महत्व पूर्ण मिशन 2017 है? या क्या मुलायम और अखिलेश के राजनैतिक ऐजेंडे अलग-अलग हैं? धरालती हकीकत के तौर पर देखें तो अखिलेश का आंकलन ज्यातदा सटीक नजर आता है। मिशन 2014 के चक्कार में प्रदेश के आर्थिक संसाधनों को गैर उत्पादक लोक-लुभावन योजनाओं में बहाने से बेहतर है कि दूरगामी विकास को नजर में रखकर काम किया जाये, और उत्तपर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े राज्य पर सपा का कब्जा बरकरार रखा जाये। जिससे हर बार सपा के स्थान पर बसपा और बसपा के स्था न पर सपा के आने की आइस-पाइस को समाप्त किया जा सके।