वरुण पर मेहरबानी दिखाने वाले अफसरों पर गिरेगी गाज: SP

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लखनऊ: वरुण गांधी के भड़काऊ भाषण केस में गवाहों के पलटने पर समाजवादी पार्टी ने कहा है कि कोर्ट में सीडी नहीं पेश करने वाले अफसरों पर कार्रवाई होगी। वरुण गांधी ने 2009 के चुनावी माहौल में जहरीला भाषण दिया था और सीडी नहीं पेश किए जाने पर वरुण बाइज्जत बरी हो गए। इस केस में केस दर्ज करवाने वाले डीएम के साथ ही साथ कुल 14 सरकारी मुलाजिम अपने बयान से पलट गए।
साल 2009 लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान उत्तर प्रदेश का पीलीभीत में बीजेपी के युवा नेता वरुण गांधी ने मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरी भाषा का इस्तेमाल किया। सांप्रदायिक उन्माद भड़काने की कोशिश की थी। जिला निर्वाचन ने पीलीभीत कोतवाली में वरुण गांधी के खिलाफ 153 ए, 295 ए, 505 (2) और 125 लोक प्रतिनिधित्व एक्ट की धारा में मुकदमा दर्ज कराया गया। मुकदमा दर्ज होते ही मायावती सरकार ने वरुण को ना सिर्फ गिरफ्तार किया बल्कि रासुका भी लग गई। लेकिन चार सालों में ये मुकदमा कोतवाली थाने से अदालत की ड्योढी पार करते करते हांफ गया।
इस केस में वादी थे खुद डीएम महेंद्र अग्रवाल और गवाह थे पीलीभीत के तत्कालीन एडीएम जमीर आलम और 13 पुलिसकर्मी। वरुण गांधी को सजा दिलाने के लिए इन सबको अदालत में मजबूत गवाही देनी थी। लेकिन डीएम महेंद्र अग्रवाल और एडीएम जमीर आलम समेत सारे 14 गवाह अदालत में अपने पुराने बयान से ही मुकर गए।
हैरानी की बात तो ये है कि डीएम महेंद्र अग्रवाल जो उस वक्त चुनाव आयोग के अंतर्गत जिला निर्वाचन अधिकारी भी थे, इस बात से भी मुकर गए कि उन्होंने वरुण गांधी के खिलाफ कोई मुकदमा भी लिखवाया था। वहीं, एडीएम जमीर आलम ने, जिन्होंने वरुण गांधी के भाषण की रिपोर्ट तैयार की थी, अदालत में ये कह डाला कि उन्होंने न तो वरूण गांधी की कोई सभा देखी, सुनी न ही उनसे इस बाबत कोई शिकायत की गई। इस मामले के दो अहम गवाह इंस्पेक्टर मनीराम राव और राजवीर सिंह भी अपने बयान से पलट गए। अदालत में दोनों ने कह दिया कि उन्होंने वरुण गांधी की ना तो कोई सभा देखी न ही कोई आपत्तिजनक भाषण सुना। बाकी बचे गवाहों में सब-इंस्पेक्टर राजकुमार सरोज के अलावा कांस्टेबल और थाने के मुंशी ने भी बयान बदल डाले।
खुलासे के बाद बीजेपी बचाव की मुद्रा में आ गई है। उसने दावा किया है कि वरूण गांधी के भाषण की सीडी से छेड़छाड़ की गई थी। वहीं समाजवादी पार्टी ने कहा है कि सरकार इस मामले में उन अफसरों की पहचान करेगी जिनके चलते समय रहते वरूण गांधी के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील नहीं की गई।