महिला दिवस : सबसे ज़्यादा तनावग्रस्त हैं भारतीय महिलाएँ

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handदुनिया भर में महिलाएं इस वक्त खुद को बेहद तनाव और दबाव में महसूस करती हैं. यह समस्या आर्थिक तौर पर उभरते हुए देशों में ज्यादा दिख रही है. एक सर्वे में भारतीय महिलाओं ने खुद को सबसे ज्यादा तनाव में बताया.

21 विकसित और उभरते हुए देशों में कराए गए नीलसन सर्वे में सामने आया कि तेजी से उभरते हुए देशों में महिलाएं बेहद दबाव में हैं लेकिन उन्हें आर्थिक स्थिरता और अपनी बेटियों के लिए शिक्षा के बेहतर अवसर मिलने की उम्मीद भी दूसरों के मुकाबले कहीं ज्यादा है. सर्वे में 87 प्रतिशत भारतीय महिलाओं ने कहा कि ज्यादातर समय वे तनाव में रहती हैं और 82 फीसदी का कहना है कि उनके पास आराम करने के लिए वक्त नहीं होता.

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हालांकि तनाव में रहने के बावजूद इस बात की काफी संभावना है कि भारतीय महिलाएं आने वाले पांच साल के दौरान अपने ऊपर ज्यादा खर्च करेंगी. 96 प्रतिशत का कहना है कि वे कपड़े खरीदेंगी जबकि 77 फीसदी कहती हैं कि वे सेहत और सुंदरता से जुड़े उत्पादों पर जेब ढीली करेंगी. वहीं 44 फीसदी महिलाएं घर में बिजली से चलने वाली चीजें लाना चाहती हैं.

uवजह सामाजिक बदलाव

नीलसन की उपाध्यक्ष सुजैन व्हाइटिंग ने एक बयान में कहा, “दुनिया भर में महिलाएं उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं और बड़ी संख्या में नौकरियां कर रही हैं. उनके बेटियों के लिए बेहतर भविष्य की उम्मीद, काम करने से घर की आमदनी भी बढ़ रही है. महिलाओं ने नीलसन को बताया जब उन्हें अपने लक्ष्य मिलते हैं तो वह खुद को सशक्त महसूस करती हैं. लेकिन इससे उनका तनाव भी बढ़ता है.”

तनाव और समय न होने के मामले में मेक्सिको की महिलाएं दूसरे नंबर पर हैं. वहां 74 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या से दो चार हैं. इसके बाद रूस में 69 प्रतिशत महिलाएं तनाव झेल रही हैं. सर्वे के मुताबिक इस तनाव के लिए एक हद तक सामाजिक बदलाव भी जिम्मेदार हैं. वहीं विकसित देशों में स्पेन में सबसे ज्यादा 66 प्रतिशत महिलाएं तनाव की शिकार हैं. इसके बाद फ्रांस में 65 प्रतिशत और अमेरिका में 53 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या से जूझ रही हैं.

उम्मीद

सर्वे में उभरते हुए देशों की 80 प्रतिशत महिलाओं को उम्मीद है कि उनकी बेटी को उनसे कहीं ज्यादा वित्तीय स्थिरता मिलेगी जबकि 83 फीसदी का कहना है कि उन्हें शिक्षा हासिल करने के ज्यादा मौके मिलेंगे. विकसित देशों में 40 प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि उनकी बेटियों की वित्तीय स्थिति उनसे अच्छी होगी जबकि 54 प्रतिशत का अनुमान है कि उनकी बेटियां बेहतर शिक्षा पाएंगी.

भारत में तनावग्रस्त महिलाओं की संख्या ज्यादा होने के बावजूद वे वित्तीय स्थिति में सुधार की संभावनाओं के मद्देनजर अपनी पुत्रियों को अच्छी शिक्षा दिलाने के प्रति आशान्वित भी पाई गईं। भारतीय महिलाओं ने कहा कि वे अगले पांच सालों में अपनी जरूरतों पर ज्यादा खर्च करने की स्थिति में होंगी। इनमें से 96 प्रतिशत ने अतिरिक्त खर्च कपड़ों पर करने का अनुमान व्यक्त किया, जबकि 77 प्रतिशत स्वास्थ्य एवं सौंदर्य प्रसाधनों पर और 44 प्रतिशत ने घरेलू इस्तेमाल के इलेक्ट्रानिक उपकरणों पर खर्च करने का संकेत दिया।

इस सर्वे में 6,500 महिलाओं ने हिस्सा लिया जो फरवरी से अप्रैल के बीच तुर्की, रूस, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, चीन, थाइलैंड, भारत, मलेशिया, मेक्सिको, ब्राजील, अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, स्वीडन, जापान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया में कराया गया.

इस सर्वेक्षण के दौरान साढे़ छह हजार महिलाओं से बातचीत की गई। तनावग्रस्त 74 प्रतिशत महिलाओं के साथ मैक्सिको दूसरे तथा 69 प्रतिशत महिलाओं के साथ रूस तीसरे स्थान पर है।