लखनऊ में बीस लाख में बिकता है फर्रुखाबाद का सेक्सी किन्नर

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indexफर्रुखाबाद: इच्छायें ही मजबूरी को जन्म देती हैं फिर वह मजबूरी आदत में तब्दील हो जाती है और इसके बाद चाह कर भी इंसान अपनी आदतों से छुटकारा नहीं पा पाता। इच्छायें अच्छे कपड़े पहनने की, अच्छा जेबर पहनने की, अच्छी गाड़ियों में घूमने के साथ ही अन्य आधुनिक सुविधाओं का भोग करने की। लेकिन इनके लिए चाहिए होता है पैसा और इसके लिए कई लोग नई नई जुगत लगाते हैं। कुछ तो मेहनत से तो कुछ दिमाग से पैसा कमाकर अपनी इच्छाओं को पूरा करते हैं। वहीं उन्हीं में से कुछ ऐसे भी हैं जो बचपन से ही नृत्य इत्यादि का शौक रखते हैं। ऐसे में उन्हें आकर्षित करता है किन्नर समाज। जिनके साथ वर्षों गुजारने के बाद उन्हें एक ऐसा लिंग दिया जाता है जिसको आम समाज किन्नर के नाम से जानता है। फर्रुखाबाद में इस समय किन्नर बनाने का चलन वर्षों से चल रहा है। किन्नर बनने के बाद व्यक्ति पैसा पैदा करने की एक मशीन बनता है और यहीं से शुरू होता है, कमाई का जरिया। फर्रुखाबाद में जबरन किन्नर बनाकर लखनऊ जैसे महानगर में इन्हें बीस लाख रुपये तक कीमत में बेचा जाता है, जो गुरू इसे खरीदता है वही इनकी पैदा किये हुए पैसे का मालिक होता है।

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इंसान की दबी हुई भावनाओं को जब पंख लगते हैं तो वह ऊंची उड़ान भरने से नहीं चूकता और यह उड़ान कभी कभी इतनी भयावय हो जाती है कि फिर वह व्यक्ति समाज से बिलकुल छिन्न हो जाता है। किन्नरों के समाज में जनपद में इस समय युवाओं को बहला फुसलाकर अपने पेशे में शामिल करने के साथ साथ उन्हें किन्नर बनाने का कारखाना भी बदस्तूर चल रहा है। आठ साल पहले की बात है। मनोज अपने पिता के साथ शहर कोतवाली के पीछे फूलों को बेचकर पेट पाल रहा था। वह फूल जो भगवान के दरबार में लोगों की इच्छाओं को पूरा करने के लिए चढ़ाये जाते हैं। उन्हीं फूलों को अपने गजरे में सजवाने के लिए एक किन्‍ना अक्‍सर आता था। कई महीनों की ग्राहकी के बाद उसने मनोज सैनी को आखिर अपने पेशे की तरफ आकर्षित कर ही लिया औरpervez- muskan kinnar वह नाचने गाने के पेशे में शामिल हो गया। यहां तक तो सब ठीक था। मनोज ने अब अपना पूरा वेश भूषा सेक्सी महिलाओं जैसी कर ली थी।

किन्नरों की तरह ताली बजाना और पैसे कमाना उसे अब रास आने लगा था। लेकिन तीन वर्ष पूर्व एक दिन ऐसा आया जिसे मनोज कभी नहीं भूल सकता। उसे चाय में धोखे से नशीला पदार्थ खिलाकर पेशेवर किन्नर ने हमेशा के लिए सचमुच का किन्नर बना दिया। मनोज का कहना है कि उसका लिंग ही काट दिया गया। अब मनोज, मनोज नहीं वल्कि मुस्कान के रूप में समाज के सामने था। अपना दर्द दिल में लिए आज भी मुस्कान तालियां पीट रहा है।

लल्ला पुत्र बाबूराम शर्मा निवासी कटराबख्सी भी ऐसे ही किन्नरों के मकड़जाल में पड़ा और देखते ही देखते वह लड़के से किन्नर के रूप में तब्दील होता चला गया। तीन साल पहले उसको भी जबरन किन्नर बनाया गया। लल्ला अब काजल के नाम से जाना जाता है।

वहीं गंगानगर निवासी परवेज पुत्र राकेश कक्षा आठ तक भारतीय पाठशाला में पढ़ाई करने के बाद एक लाला के यहां नौकरी करने लगा। इसके बाद वहां से नौकरी छोड़ी तो एक कपड़े वालों के यहां नौकरी की। अन्य कई दुकानों पर काम करने के बाद परवेज भी किन्नर बनाने वालों के हत्थे चढ़ गया। पहले तो कई वर्षों तक यह उनके साथ नाच गाना करता रहा।  27 फरवरी बुधवार को कुछ दबंग किन्नर समाज के लोगों ने परवेज को जबर्दस्ती किन्नर बनाने का दबाव डाला तो मामला पुलिस तक पहुंच गया। किन्नर मुस्कान का आरोप है कि खटकपुरा निवासी जावेद, सेनापति निवासी बंटू को अंजली किन्नर बनाया। वहीं पलरिया निवासी प्रदीप को श्री किन्नर बनाया। पलरिया निवासी प्रमोद को डिम्पल किन्नर, बबलू को बबली किन्नर बनाया गया। मुस्कान ने बताया कि जबर्दस्ती युवाओं को किन्नर बनाने के बाद लखनऊ में बीस लाख रुपये की मोटी रकम लेने के बाद बेच दिया जाता है। जिसके बाद वह किन्नर ताउम्र वहीं नेगवसूली करके खरीदने वाले व्यक्ति को अच्छी खासी कमाई देता रहता है। जबरन किन्नर बनाने के कई मामले पुलिस अधीक्षक तक पहुंच चुके हैं लेकिन पुलिस अभी इस तरह के कारोबार करने वाले लोगों पर कार्यवाही करने से कतरा रही है।

शहर कोतवाली एस एस आई हरिश्चन्द्र ने बताया कि मामले के सम्बंध में शिकायत प्राप्त हुई है। जांच के बाद कार्यवाही की जायेगी।