UP TET: आखिर कब पूरा होगा नौकरी पाने का सपना

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TETउत्‍तर प्रदेश में सहायक अध्यापकों की भर्ती एक बार फिर रुक गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती पर सोमवार को रोक लगा दी। 72,825 नौकरियों का सब्जबाग दिखाकर प्रदेश सरकार लाखों बेरोजगार युवाओं से अब तक करोड़ों रुपए बटोर चुकी है लेकिन उन्हें नियु‌‌क्ति नहीं दे पाई। नौकरी पाने का ये सपना न केवल युवाओं लिए मजाक बन गया है, ब‌ल्कि अब उनका धैर्य भी निराशा में बदलने लगा है।

गौरतलब है कि उत्‍तर प्रदेश सरकार ने 2011 में यूपी टेट के ‌जरिए 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। प्रदेश में बीएड क्वालीफाईड लाखों बेरोजगार युवाओं के लिए प्राइमरी स्तर पर नौकरी पाने का ये अंतिम अवसर था। तत्कालीन प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा पारित ‘राईट टू एजूकेशन एक्ट’ का हवाला देकर टेट परीक्षा के प्राप्तांकों को ही चयन प्रक्रिया की मेरिट बनाने की बात कही थी।तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने वादा किया था कि वे 31 जनवरी, 2012 तक चयन प्रक्रिया पूर्ण कर लेंगी। हालांकि टेट के परिणाम में गड़‌बड़ियां पाए जाने और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद परिणामों को संदिग्ध बताकर प्रदेश की नई सरकार (सपा सरकार) ने भर्ती के नियमों में बदलाव कर दिए। प्रदेश सराकर ने यूपी टेट को अर्हता परीक्षा मानकर आवदेकों की शै‌क्षणिक मेरिट को चयन का आधार बनाया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में सरकार के इसी फैसले को चुनौती दी गई। कोर्ट के आदेश पर पांच फरवरी को होने वाली काउंसलिंग 11 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई। कोर्ट ने मामले में प्रदेश सरकार से 11 तक जवाब मांगा है। इस मामले में उत्‍तर प्रदेश सरकार सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया के लिए तैयार नियमावली में बदलाव करने के मूड में नहीं दिख रही है।

सरकार ने हाईकोर्ट में स्थिति स्पष्ट करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। मंगलवार को बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की इस संबंध में बैठक हुई। शिक्षा विभाग का मानना है कि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के लिए उसने जो नियमावली तैयार की है, इसमें कोई खामी नहीं है और वे हाईकोर्ट में अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे।

टेट के नंबरों का चयन प्रक्रिया का आधार बनाने वालों का कहना है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 एक केंद्रीय अधिनियम है और इसी के तहत एनसीटीई ने 23 अगस्त 2010 और 29 जुलाई 2011 को अधिसूचना जारी कर सहायक अध्यापकों की न्यूनतम योग्यता निर्धारित की है। इसलिए उत्‍तर प्रदेश बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 पर भी यह बाध्यकारी है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार केंद्रीय अधिनियम में कोई बदलाव नहीं कर सकती।

कोर्ट इस मसले पर जो भी फैसला दे लेकिन कुछ ऐसे सवाल जरूर हैं, जो प्रदेश्‍ा में अध्‍यापक की नौकरी पाने को अंतिम अवसर मान रहे युवाओं के मन में कौंध रहे हैं-

सवाल नं.1- अगर टेट को एक बार फिर चयन का आधार मान लिया गया तो क्या सरकार फिर से आवेदन मंगाएगी। यूपी सरकार एक ही नौकरी के लिए 500-500 रुपए के ड्राफ्ट पर अब तक दो बार आवेदन मंगा चुकी है।

सवाल नं.2- 2011-12 में ‘अपियरिंग’ रहे आवेदकों क्या होगा? सरकार अब तक उनके बारे में कोई फैसला नहीं ले पाई है और नई परीक्षा भी नहीं करा पा रही है कि उन्हें क्लालीफाई होने का दोबारा मौका मिले।

सवाल नं.3– इस बार अधिक उम्र बताकर कई आवेदक आवेदन से रोक दिए गए थे। भर्ती प्रक्रिया रुकती है और आवेदन दोबारा मंगाने की स्थिति पैदा होती है तो जिनकी उम्र अधिक हो जाएगी, उनके बार में क्या फैसला होगा?

सवाल नं.4- मेरिट में पाई गई खामियों और टेट के रिजल्ट की गड़बड़ियों के बाद क्या सरकार कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करेगी?